प्रयागराज महाकुंभ भगदड़: शवगृह में प्रतीक्षा और निराशा, ‘उसके बिना या उसके शव के बिना वापस नहीं जा सकते’

प्रयागराज में महाकुंभ में बुधवार को भोर से पहले मची भगदड़ में 30 लोगों की मौत हो गई और कम से कम 60 लोग घायल हो गए। यहां लाखों लोग संगम में डुबकी लगाने के लिए एकत्र हुए थे।

शाम के 7:41 बजे हैं और अमृतसर के नरेश कुमार अपनी पत्नी को सुबह 2 बजे से ही पूरे महाकुंभ क्षेत्र में खोज रहे हैं , जब यह जानलेवा भगदड़ हुई थी। अब वह अपने 6 साल के बेटे के साथ प्रयागराज के शवगृह में पहुँच चुके हैं, उम्मीद है कि उनका सबसे बुरा डर झूठा साबित होगा।

कुमार कहते हैं कि उन्होंने शवगृह के अंदर 35 शवों की जांच की। उनमें से कोई भी उनकी पत्नी का नहीं था। आखिरकार उनके पैर जवाब दे गए, वे बाहर बैठे हैं और उनका आधार कार्ड थामे हुए हैं । “मैं उनके या उनके शव के बिना घर नहीं लौट सकता।”

मोती लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के शवगृह के बाहर उनके जैसे कई लोग हैं – पति, बेटियाँ, बेटे, बहुएँ, सभी अपने प्रियजनों की दिन भर की निरर्थक खोज के बाद अंतिम उपाय के रूप में यहाँ आए हैं। जो लोग शवों की जाँच करना चाहते हैं उन्हें गेट के अंदर ले जाया जाता है। कई लोगों को अपनी खोज जारी रखने के लिए मजबूर होना पड़ता है।

जौनपुर के लिए रवाना हो रही रामपति की बेटी शिला राजभर कहती हैं, “हर जगह बैरिकेडिंग थी। लोग हमें बाहर निकलने के लिए चिल्ला रहे थे… अचानक हर जगह से लोग आ गए, वे एक-दूसरे पर गिर रहे थे और देखते ही देखते लोगों का एक ढेर लग गया, जिसके ऊपर से दूसरे लोग पैर रखकर निकल रहे थे। भीड़ ने हमें भी किनारे कर दिया। मेरी 60 वर्षीय मां, जिनके कहने पर हम सब आए थे, और मेरी भाभी की मौत हो गई।”

रात 8:43 बजे एम्बुलेंस संख्या 125 गोरखपुर निवासी एक व्यक्ति का शव लेकर रवाना होती है, जबकि एम्बुलेंस संख्या 137 एक शव लेकर बिहार के लिए रवाना होती है।

रात 9:23 बजे दो एंबुलेंस में चार और शव रखे गए। वे कर्नाटक से आए नौ लोगों के समूह का हिस्सा थे । इस समूह की कंचन कोपार्डे सफेद कपड़े में लिपटे दो शवों के पास बैठी हैं। एक शव उनके पति का है, दूसरा उनके दोस्त का। “हम पवित्र स्नान के लिए संगम की ओर जा रहे थे। लेकिन इससे पहले कि हम संगम पर पहुँच पाते, रात करीब डेढ़ बजे एक भीड़ सामने से तेज़ी से आई। अचानक भगदड़ मच गई और लोग एक-दूसरे पर गिर पड़े। किसी भी व्यक्ति को बचाना मुश्किल था।”

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