आसान नहीं होगी हरदोई में बीजेपी की राह
अभिनव त्रिपाठी
आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर हरदोई सदर सीट का मुकाबला काफी रोमांचक होने वाला है क्योंकि इस सीट से सपा ने बीजेपी की मुश्किलें काफी हद तक बढ़ा दी है। क्योंकि सपा ने पूर्व विधायक अनिल वर्मा को उतारकर बीजेपी प्रत्याशी नितिन अग्रवाल की मुसीबतें बढ़ा दी है। अगर हम इस सीट की बात करें सबसे ज्यादा मत पासी बिरादरी के है। अनिल वर्मा इसी बिरादरी से आते है और मुस्लिमों के वोट को भी सपा अपना मान रही है। इसके अलावा अगर सपा को किसी और का समर्थन मिला तो वो निश्चित तौर पर नरेश के गढ़ में सेंध लगा सकती है। अगर हम कांग्रेस की बात करें तो करें तो उसने आशीष सिंह को अपना प्रत्याशी बनाया है। वो जितना भी वोट पाएंगे इससे नुकसान नितिन का ही होगा। इसके अलावा आजाद समाज पार्टी ने एक मुस्लिम प्रत्याशी अख्तर अली गाजी को भी उतारा है। जो इस रण में अपना जोर अजमाएंगे।
सपा पार्टी से चुनाव लड़ेंगे अनिल
अनिल वर्मा बतौर सपा प्रत्याशी पहली बार सदर विधानसभा की सीट पर पहली अपनी किस्मत अजमाएंगे। इससे पहले अनिल वर्मा सीएसएन डिग्री कालेज के छात्र संघ अध्यक्ष भी रह चुके है। इनके चाचा छोटेलाल 1996 में भाजपा के सीट पर बावन-हरियावां सीट से विधायक चुने गए थे पर उनका निधन 1999 में हो गया इसके बाद उपचुनाव में भाजपा ने अनिल वर्मा को टिकट दिया लेकिन वो हार गए। इसके बाद 2002 के आमचुनाव में भाजपा के टिकट से वो विधायक बने। साल 2012 में वो सपा में शामिल हुए और पार्टी के टिकट पर बालामऊ से विधायक चुने गए। इसके बाद 2017 में उन्हे टिकट नहीं मिल पाया इसलिए वो चुनाव नहीं लड़ पाए।
चार दशक से नरेश परिवार का है कब्जा
नरेश अग्रवाल को हमेशा सत्तापक्ष ही पसंद आता है । ये साल 1980,1989, 1991, 1993, 1996, 2002 और 2007 में वे इस सीट से विधायक चुने गए। साल 2008 में इन्होंने विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देकर अपने बेटे नितिन को चुनाव लड़वाया और वह विजयी हुए। इसके अलावा नितिन 2012 से 2017 तक भी विधायक रहे। अगर हम आंकड़ों की देखें तो सपा का पलड़ा भारी दिख रहा है पर ऊंट किस करवट बैठेगा इसका फैसला जनता 23 फरवरी को करेगी।इसके अलावा आजाद समाज पार्टी से मुस्लिम प्रत्याशी के आने से रोमांच और ज्यादा बढ़ गया है।