बुलंदशहर में कब्रगाह बने गौशाला, आश्रय के अभाव में दम तोड़ रहे गौवंश
रिपोर्ट- कपिल सिंह/बुलंदशहर
यूपी के योगी राज में बुलंदशहर के गौ आश्रय स्थलों में गोवंशों की समुचित देखभाल न होने के कारण गोवंश तड़प तड़प कर दम तोड़ रहे है। जनपद के 143 गौ आश्रय स्थलों में बदइंतजामी का आलम यह है कि मार्च से लेकर अब तक 70 गौवंश दम तोड़ चुके हैं। 70 गौवंशों की मौतों का आंकड़ा सरकारी है, लेकिन गौवंशों की मौतों की हकीकत सरकारी दावों से कहीं ज्यादा बताई जा रही है। वो भी तब जब बुलंदशहर में गौ आश्रय स्थलों में गौवंशो के रख रखाव पर 2.13 करोड़ रुपये खर्च किये जा चुके है।
जमीन में हाँफते, सिसकते, तड़पते और बेसुध गौवंशों की जो दर्दनाक तस्वीर आप अपनी टीवी स्क्रीन पर देख रहे हैं, ये यूपी के बुलंदशहर की गौशालाओं की तस्वीरें हैं। आप देख रहे हैं की गौशालाओं में कैसे गौवंश सिसक रहे हैं। गौवंशों की न कोई देखभाल करने वाला है और न ही उनके जख्मों पर मरहम रखने वाला। ऐसे में सिस्टम की अनदेखी गौवंशों की जिंदगी पर भारी पड़ना स्वाभाविक भी है।
ग्राम प्रधानों की माने तो 1 गौवंश के चारे के लिए मात्र ₹30 प्रतिदिन मिलता है, जिसमें 1 गोवंश को दोनों टाइम का चारा की व्यवस्था करना मुश्किल है। ₹30 में तो बच्चे की चॉकलेट भी नहीं आती और प्रशासन गोवंश के रखरखाव को लेकर ग्राम प्रधानों पर कार्रवाई करने पर तुला है। मजबूर ग्रामप्रधान भी अब लामबंद होने लगे है.
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बुलंदशहर में अगर गौवंश और गौ आश्रय स्थलों की बात करें तो यहां अस्थाई रूप से गांव और शहरों में 143 गौशालाएं खोली गई हैं, जिनमें 8558 गौवंश रखे गए हैं। जिला पशु चिकित्सा अधिकारी का दावा है कि सभी गौवंशों की इयर टैगिंग और गौशालाओं की जीओ टैगिंग की जा चुकी है। अब तक गौवंशों के पालन और रखरखाव पर 2.13 करोड़ रुपये भी खर्च किये जा चुके हैं।
बावजूद इसके गौशालाओं में गौवंशों की मौत का सिलसिला नहीं थम रहा है। सूत्रों का तो ये भी कहना है कि गौशालाओं में गौवंशों को भरपूर चारा पानी भी नहीं मिल पा रहा है। यही कारण है कि गौवंशों के दम तोड़ने का सिलसिला थम नहीं रहा है और मौत का आंकड़ा 70 तक जा पहुंचा है।