ये है शापित पेड़, जिसे देखते ही चली जाती है आँखों की रोशनी, आप भी हो जाएँ सावधान…
आमतौर पर ये दुनिया हमें काफी साधारण लगती है, क्योंकि हमने इस दुनिया में केवल साधारण चीज़ें ही देखी होती हैं। जबकि असल में ये दुनिया उतनी साधारण है नहीं, जितना हम सोचते हैं।
रहस्यों से भरी इस धरती पर एक से बढ़कर एक रहस्यमयी जगह, जीव-जंतु, नदियां-तालाब आदि उपस्थित हैं। इसी कड़ी में आज हम आपको एक ऐसे गांव के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसका रहस्य सुलझाना आकाश में तारे गिनने जैसा जटिल है।
दरअसल इस धरती पर एक ऐसा गांव हैं, जहां रहने वाला एक-एक इंसान, पशु-पक्षी.. सभी अंधे हैं।
टिल्टेपक गांव में रहने वाले सभी प्राणी अंधे हैंजी हां, सुनने में ये काफी अटपटा लग रहा होगा..लेकिन सच्चाई यही है। अंधे हो जाने की वजह से इस गांव में रहने वाला कोई भी पक्षी उड़ता नहीं है।
अंधी आंखों से उड़ने की कोशिश की भी जाती है तो वे इधर-उधर टक्कर खाकर घायल हो जाते हैं और नीचे गिर जाते हैं। ठीक ऐसी ही स्थिति इस गांव के जीव-जंतुओं की भी बनी हुई है।
ये जानवर अपने लिए भोजन की व्यवस्था नहीं कर पाते हैं। इस गांव का नाम ‘टिल्टेपक’ हैं, जहां पैदा होने वाले बच्चे पूरी तरह से स्वस्थ होते हैं, लेकिन कुछ ही दिनों के अंतराल में उनकी आंखों की रोशनी चली जाती है।
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पेड़ को देखते ही अंधे हो जाते हैं लोगगांव में आमतौर पर जोपोटेक समुदाय के लोग रहते हैं। सड़क किनारे बसे इस गांव में कुल 70 कच्चे घर हैं। किसी भी घर में खिड़की नहीं हैं, क्योंकि ये सभी देख नहीं सकते..इसलिए इन्हें सूर्य से मिलने वाली रोशनी से कोई लेना-देना ही नहीं है।
इस पूरे गांव के अंधेपन के पीछे की एक मुख्य वजह यहां स्थित एक पेड़ है। अंधेपन के ज़िम्मेदार इस पेड़ का नाम ‘लावजुएजा’ है, जिसे देखते ही इंसान, पशु, पक्षी सभी अंधे हो जाते हैं। जब ये बात वैज्ञानिकों को पता चली तो वे अपनी एक ज़बरदस्त टीम के साथ टिल्टेपक गांव आ पहुंचे।
लेकिन वैज्ञानिकों ने पेड़ नहीं बल्कि एक चीज़ को गांव के अंधेपन का मुख्य ज़िम्मेदार बताया। एक हिंदी वेबसाइट के मुताबिक ये गांव भारत में ही स्थित है।
वैज्ञानिकों ने बताई असली वजहवैज्ञानिकों ने बताया कि पेड़ में ऐसा कुछ नहीं है, जिसे देखने के बाद प्राणी अंधे हो जाएं। दरअसल यहां ज़हरीली मक्खियां रहती हैं, जिनके काटने से शरीर में एक खतरनाक कीटाणु शरीर में प्रवेश कर जाता है।
ये कीटाणु शरीर में प्रवेश करने के बाद आंखों की मुख्य नसों को बंद कर देते हैं, जिससे इंसान और पशु-पक्षी अंधे हो जाते हैं।