
भारत देश धार्मिक स्थलों के लिए बहुत ही मशहूर है। यहां कई ऐसिहासिक और प्राचीन मंदिर है जिनका इतिहास जानने कि लिए लोग दूर-दूर से आते हैं। किसी हिल स्टेशन से ज्यादा लोगों की भीड मंदिरों में ही देखी जाती है।
इन मंदिरों के पीछे कई तरह के रहस्य है जिन्हें अभी तक वैज्ञानिक भी नहीं सुलझा पाए हैं।
ऐसा ही एक अनसुलझा राज है कालीसिंध नदी के किनारे बने माता के मंदिर में।
वहां एक ऐसा माता का मंदिर स्थित है जिसमें घी और तेल की जगह पानी से दीपक जलाया जाता है।
इसकी यही अनोखी विशेषता है जिससे भक्तों के बीच उत्सुकता बनी हुई है।
इस मंदिर में मन्नत का दीपक जलाने के लिए घी-तेल की जरुरत नहीं।
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इस मंदिर में ऐसा पिछले 5 सालों से चलता आ रहा है।
कालीसिंध नदी के किनारे स्थित इस मंदिर को गडियाघाट वाली माता का मंदिर के नाम से जाना जाता है।
मंदिर के पुजारी ने बताया कि पहले इस मंदिर में तेल का दीपक जलता था।
लेकिन लगभग पांच साल पहले माता ने सपने में मुझे दर्शन दिए और कहा कि तुम अब पानी का दीपक जलाओ।
माता का आदेश मानकर मैंने पानी का दीपक जलाया जो जलने लगा। तभी से मां के चमत्कार से यह दीपक जल रहा है।
इस दीपक को जलाने के लिए कालीसिंध नदी से पानी लाया जाता है।
लेकिन ये दीपक बरसात के मौसम में नहीं जलता क्योंकि बरसात के कारण कालीसिंध नदी का जल का स्तर बढ जाता है जिससे मंदिर पानी में डूब जाता है जो दीपक को बुझा देता है। बरसात खत्म होने के बाद इस दीपक को दोबारा शारदीय नवरात्र के पहले दिन जलाते हैं जो फिर दोबारा बारिश होने तक जलता है।