
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने सोमवार को इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में विश्व विकलांग दिवस के अवसर पर उत्तर प्रदेश के विकलांगजन सशक्तीकरण विभाग द्वारा आयोजित राज्यस्तरीय पुरस्कार वितरण समारोह में पात्र विकलांगजनों को कृत्रिम अंग एवं सहायक उपकरण वितरित किए।
राज्यपाल ने सर्वश्रेष्ठ कर्मचारियों, विकलांगजनों के लिए सर्वश्रेष्ठ प्रेरणा स्रोत, सर्वश्रेष्ठ विकलांग खिलाड़ी, विकलांगता के क्षेत्र में कार्यरत व्यक्तियों एवं स्वैच्छिक संगठनों तथा कक्षा 10 एवं 12 उत्तीर्ण छात्र-छात्राओं को मेडल एवं प्रशस्तिपत्र देकर सम्मानित किया।
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राज्यपाल ने विश्व विकलांग दिवस के इतिहास पर प्रकाश डालते हुए कहा कि विकलांगजनों के शरीर में यदि एक कमी होती है तो उनमें अतिरिक्त रूप से कोई न कोई विशेषता होती है। इसीलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘दिव्यांग’ शब्द का प्रयोग किया। दिव्यांगजनों में सामान्य मनुष्य से भी आगे जाने की क्षमता है। उनकी क्षमताओं को देखते हुए उन्हें उचित मार्गदर्शन और प्रोत्साहन देने की आवश्यकता है।
नाईक ने कहा कि राज्य सरकार ने दिव्यांगों को मिलने वाली सहायता राशि को 300 रुपये से बढ़ाकर 500 रुपये कर दिया है। विवाह के लिए मिलने वाली राशि को 20 हजार रुपये से बढ़ाकर 35 हजार रुपये कर दिया है तथा दिव्यांगता के क्षेत्र में कार्य कर रही गैर सरकारी संस्थाओं का मानदेय भी बढ़ाया है। धनराशि का बढ़ाना राज्य सरकार की दिव्यांगों के प्रति संवेदनशीलता दर्शाती है।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने यह निर्णय लिया है कि ‘दिव्यांग’ बच्चों की किताबों का खर्च, स्कूल ड्रेस एवं स्कूल आने जाने का परिवहन व्यय भी केंद्र सरकार द्वारा वहन किया जाएगा।
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दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग के मंत्री ओमप्रकाश राजभर ने कहा कि विश्व दिव्यांग दिवस वास्तव में सिंहावलोकन का अवसर है। राज्य सरकार अच्छे कार्य करने वाले व्यक्तियों एवं संस्थानों को सम्मानित करती है, ताकि उनमें उत्साह का निर्माण हो।
इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव महेश कुमार गुप्ता, दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग के निदेशक डॉ. बलकार सिंह सहित अन्य अधिकारी, बड़ी संख्या में विकलांगजन एवं विकलांग छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।