दमा रोगियों के लिए फायदेमंद है ये दवा, कुछ ही दिन में ठीक होगी बीमारी

अस्थमा रोगियों की श्वास नली में म्यूकस जमा होता है। इससे सांस लेना मुश्किल होता है, क्योंकि सूजन के कारण श्वास नली सिकुड़ जाती है। ऐसे रोगियों के लिए सबसे असरदार है- अस्थमा मुद्रा। यदि इससे पहले श्वसनी मुद्रा कर ली जाए, तो अस्थमा मुद्रा का लाभ बढ़ जाता है।

दमा रोगियों

श्वसनी मुद्रा के लिए कनिष्ठा और अनामिका उंगलियों को अंगूठे की जड़ में लगाएं और अंगूठे तथा मध्यमा के अग्रभाग (टिप) को मिलाएं। तर्जनी को बिल्कुल सीधा रखें। 5-5 मिनट पांच बार करें। अस्थमा मुद्रा के लिए दोनों हाथों की मध्यमा उंगलियों को मोड़कर उनके नाखूनों को आपस में मिला दें। बाकी उंगलियां और अंगूठे खुले रहें। 5-5 मिनट पांच बार करें।

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पश्चिमोत्तानासन से सर्दी-जुकाम और ब्रोंकाइटिस की समस्या दूर होती है। बैठकर हथेलियों को घुटनों पर रखें, दोनों पैरों की एड़ियां मिलाएं और पंजे तानें। सांस भरते हुए हाथों और पीठ को ऊपर की ओर खीचें। कुछ पल बाद, सांस छोड़ते हुए धीरे-धीरे आगे की ओर झुकें और हाथों से पैरों के अंगूठों को पकड़कर खींचें ताकि दोनों कुहनी जमीन से लग जाएं।

सिर घुटनों के पास या उससे थोड़ा ऊपर लाने का प्रयास करें। सामान्य श्वास के साथ हाथों और पंजों को आगे की ओर तानें। कुछ पल बाद सांस भरते हुए हाथों को ऊपर ले जाएं, पीठ तानें और हाथ को अगल-बगल से वापस लाएं। दोनों हाथों को कमर के पीछे रखें। एड़ियों को फैलाकर पंजे ढीले कर दें। पूरी प्रक्रिया में घुटने सीधे रहें।

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