योग और आयुर्वेद की मदद से ऐसे पाएं हाइपर एसिडिटी से छुटकारा

दिवाली का आनंद अच्छे से लेने के चक्कर में कई बार लोग कुछ दिन पहले से अपने खान-पान परप ध्यान नहीं देते हैं। उनको लगता है कि दिवाली के दिन इतनी सारी मिठाइयां खानी है तो क्यों ना आज से ही खाने-पीने पर कंट्रोल रख लिया जाए। इस समय खुद का ध्यान ना रखना आपके लिए खतरे की घंटी बजा सकता है। वो क्यों। वो इसलिए क्योंकि इस समय ही लोगों को अपने घरों में बहुत काम होता है वह पूरा दिन घर की साफ-साफाई में लगे रहते हैं। जिस कारण उनको एसिडिटी हो जाती है। जब यह एसिडिटी की समस्या बढ़ जाती है तो इसे हाइपर एसिडिटी का नाम दिया जाता है। आज कल यह समस्या बहुत ही आम हो गई है।

एसिडिटी

एसिडिटी होने पर क्या खाएं

  • एसिडिटी के रोगियों को अपनी डाइट में दूध, छाछ, नारियल पानी और गुनगुने पानी शामिल करना चाहिए।
  • घर में बना ताज़ा भोजन ही खाएं।
  • साबुत अनाज जैसे जौ, गेहूं, चने का प्रयोग करें।
  • दालों में मूंग और मसूर का प्रयोग करें।

इन चीजों से रहें दूर

  • बहुत ज़्यादा चाय-कॉफ़ी, शराब, धूम्रपान, मांसाहार का सेवन नहीं करना चाहिए।
  • खाना खाने के बाद सोना तथा खाना खाने के बाद पानी पीने से बचना चाहिए। बहुत ज़्यादा ऑयली खाना नहीं खाना चाहिए।
  • मिर्च-मासलेदार खाने के अलावा देर से पचने वाले भोजन जैसे राजमा, छोले, उड़द, मटर, गोभी, भिंडी, आलू, अरबी, कटहल, बैंगन, खमीरीकृत भोजन जैसे कि इडली, डोसा, बेकरी प्रोडक्ट, बासी खाना, डब्बाबंद खाना आदि का प्रयोग भी नहीं करना चाहिए।
  • ज्यादा मसाले दाल और तली भुनी खाने की चीजों से बचना चाहिए।
  • कोशिश करनी चाहिए कि आप सादा खाना खाएं हमेशा ध्यान रखें जिस खाने को खाने का हमेशा आपका और सबका मन करता है वो खाना केवल उस समय तक ही अच्छा होता है। बाद में यहीं खाना आपके लिए काल बन जाता है।

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योग 

उत्तानपादासन

आप हाइपर एसिडिटी की समस्या से योग के माध्यम से भी छुटकारा पा सकते हैं। अगर आप योग करते हैं तो आप दुनिया की हर बीमारी से दूर रह सकते हैं। ऐसा ही एक योग है उत्तानपादासन जो आपको हर तरह की बीमारियों से बचा कर रखता है। उत्तानपादासन करने के लिये चमान पर बिछे आसन पर सीधे होकर ऐसे लेट जाएं और पेट के हिस्सा को ऊपर की ओर रखें। इसके बाद अपने दोनों हाथों को शरीर से सटाकर सीधा रख लें और हथेलियों से जमीन को छूते रहें। एक से दो मिनट तक इसी पोजीशन में रहें और फिर सांस लेते हुए दोनों पैरों को सीधा ऊपर की ओर उठा लें। और फिर सिर को जमीन से टिकाए रखें। अब पैरों को 90 डिग्री के कोण पर ऊपर की ओर रख लें। कुछ समय तक इसी पोजीशन में रहें और फिर धीरे-धीरे सांस को बाहर छोड़ते हुए सामान्य स्थिति में लौट आएं। उत्तानपादासन करने से पेट, पैर और कमर को बेहद मजबूती मिलती है और वे पुष्ट बनते हैं। इस आसन के नियमित अभ्यास से अपच और गैस्ट्रिक की समस्या भी दूर हो जाती है।

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भुजंगासन

भुजंगासन करने के लिए सबसे पहले आप उलटे लेट जाएं मतलब कि आप अपने पेट के बल लेट जाएं साथ ही अपने शरीर को बिल्कुल ढीला छोड़ दें। इसके बाद हथेलियों को कंधों और कुहनियों के बीच वाली जगह पर जमीन के ऊपर रख लें और नाभि से आगे तक के भाग को धीरे-धीरे सांप के फन की तरह ऊपर उठाएं। अब पैर की उंगलियों को पीछे की तरफ खींचकर रखें, ताकि उंगलियां जमीन को छूने लगें। इस पोजीशन में कुछ देर के लिये रुकें और इसे कम से कम चार बार करें। भुजंगासन का नियमित अभ्यास करने से पेट में गैस, कब्ज आदि नहीं होते हैं। इसके अलावा इस आसन से गर्दन, कंधे, मेरुदंड से जुड़ी समस्याएं से भी निजात मिलती है।

 

 

 

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