
हिंदू धर्म में एकादशी का विशेष महत्व है। इस दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा की बहुत मान्यता है। माना जाता है कि इन दिन सच्चे मन से पूजा करने वालों को हर मुराद पूरी होती है। कार्तिक मास के कृष्णपक्ष की एकादशी को रमा एकादशी के नाम से जाना जाता है। साथ ही न दिन को चतुर्मास की अंतििम एकदशी भी कहा जाता है। इस साल यह एकादशी आज यानी कि 3 नवंबर को मनाई जा रही है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि इस यह एकादशी बाकी सब से किस तरह से अलग है और इसका नाम रमा एकादशी क्यों है।
भगवान विष्णु का पत्नी का नाम रमा भी है जो शायद ही किसी को पता हो। और यह एकादशी भगवान विष्णु का अतिप्रिय है इसलिए इस एकादशी का नाम है रमा एकादशी।
रमा एकादशी का महत्व
पुराणों के अनुसार रमा एकादशी व्रत कामधेनु और चिंतामणि के समान फल देती है। इसे करने से व्रती अपने सभी पापों का नाश करते हुए भगवान विष्णु का धाम प्राप्त करता है। मृत्यु के बाद उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।
किंग खान को ममता बनर्जी ने दी जन्मदिन की बधाई
शुभ मुहूर्त
रमा एकादशी तिथि प्रारम्भ: 3 नवंबर को को 05:10 बजे
रमा एकादशी तिथि समाप्त: 4 नवंबर को 03:13 बजे
रमा एकादशी पारण समय : 4 नवम्बर को सुबह 08:47 से 08:49 बजे तक
दृढ़ इच्छा शक्ति की हुई जीत, रेगिस्तान का बदल गया रूप
पूजन विधि
इस व्रत को रखने के लिए सबसे पहले सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करके नए वस्त्र धारण कर लें। बाद में भगवान विष्णु की कोई मूर्ति या फिर उनके कृष्ण रूप की प्रतिमा को स्थापित करें।
फिर मूर्ति पर फूल आदि चढ़ाएं और धूप दिखाएं। ध्यान रखें कि मां की पूजा के लिए लाल रंग के फूल का ही चुनाव करें। पूजा सम्पन्न होने के बाद सभी भक्तों में प्रसाद का वितरण करें।
आप चाहें तो किसी पंडित से भी इस दिन की पूजा करवा सकते हैं।
भगवान को माखन और मिश्री का भोग लगाएं तो अति उत्तम रहेगा।
व्रत पूरा करने के बाद भगवान का नाम लेकर भोजन ग्रहण कर लें।