
रिपोर्ट- विनीत त्यागी
रुड़की। जहाँ देश को 2025 तक टीबी मुक्त करने के लिए अभियान चल रहा है तो वहीं अस्पताल प्रबंधन किस तरीके से लापरवाह बना है। जिसका जीता जागता उदाहरण रुड़की के सिविल अस्पताल में देखने को मिला हैं।
दरअसल एक बेटा अपने बुजुर्ग पिता को रेहड़े में बैठाकर टीबी के इलाज के लिए दर दर भटक रहा है लेकिन कोई अस्पताल उसे उपचार देने के लिए तैयार नही है।
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युवक का कहना है कि वो अपना पिता के इलाज के लिए देहरादून के भी चक्कर काट चुका है इसके बावजूद भी कोई अस्पताल बुजुर्ग को भर्ती कराने को तैयार नहीं है और वह अपने बुजुर्ग पिता के लिए इलाज की गुहार लगा रहा हैं लेकिन ऐसे में जहाँ टीबी मरीजों को बचाने के लिए योजनाएं इस तरह चलाई जाएगी तो किस तरह सफल हो पाएगा सरकार का अभियान।