सावन के महीने में लगता है ‘श्रावणी मेला’, देवघर में होता है विशेष आयोजन

नई दिल्ली:| सावन माह को मुख्यतः भगवान शिव की आराधना के लिए जाना जाता है। इसी माह में शिव की पूजा सबसे अधिक फलदाई मानी जाती है। आज यानि 28 जुलाई दिन शनिवार से श्रावण यानी सावन का पवित्र महीना प्रारंभ हो गया है। सावन का महीना देवाधिदेव भगवान शंकर की आराधना के लिए जाना जाता है।

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भगवान शंकर को बहुत प्यारा है ये माह-

यह मास भगवान शंकर को बहुत प्यारा है। इसलिए भोले के भक्त कांवड़िए इस मास में देवाधिदेव भगवान के प्रतीक लिंग स्वरूप पर जलाभिषेक करते हैं। भगवान भोलेनाथ की आराधना वैसे तो देश में स्थित सभी 12 ज्योतिर्लिंगों में साल के सभी महीनों में की जाती है।

लेकिन सावन के महीने में झारखंड के देवघर में स्थित बाबा वैद्यनाथ की महिमा इन दिनों में ज्यादा महत्वपूर्ण मानी जाती है। सावन महीने में यहां विश्वप्रसिद्ध श्रावणी मेला लगता है, जिसमें हर साल लाखों की तादाद में कांवड़िए पहुंचते हैं। इस साल 27 जुलाई से 28 अगस्त तक यह मेला लगेगा।

देवघर की महिमा –

देवघर को बाबाधाम के नाम से भी जाना जाता है और यहां स्थित भगवान शंकर की रावणेश्वर महादेव या मनोकामना महादेव के रूप में भी मान्यता है। अगर आप भी भगवान शंकर के भक्त हैं तो इस सावन में देवघर जरूर जाएं और अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए भगवान शंकर के ज्योतिर्लिंग पर जल चढ़ाएं।

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श्रावण के महीने के दौरान बाबाधाम का महत्व और बढ़ जाता है इस अवधि के दौरान लाखों श्रद्धालु बाबा बैद्यनाथ मंदिर में इकट्ठा होते है। उनमें से ज्यादातर लोग सबसे पहले सुल्तानगंज जाते हैं, जो बाबाधाम से 105 किमी दूर है।

सुल्तानगंज में, गंगा उत्तर में बहती है यह इस जगह से है कि भक्तों गंगा जल ले कर बाबा धाम की और पैदल आते है।

वे बाबा बैधनाथ मंदिर तक 109 किलोमीटर की दूरी पर चलते हैं,लोग बोल बम बोलते हुए यहाँ तक बहुत ही श्रद्धा के साथ पहुचते है। बाबाधाम तक पहुंचने पर, कावरिया पहले शिवगंगा में खुद को शुद्ध करने के लिए एक डुबकी लेते हैं, और फिर बाबा बैद्यनाथ मंदिर में प्रवेश करते हैं, जहां ज्योतिर्लिंगम पर गंगा जल अर्पित करते है।

कैसे जाएं-

देवघर तक आप ट्रेन, बस और अपने वाहन से आसानी से पहुंच सकते है। पटना-हावड़ा रेलखंड पर स्थित जसीडीह, दिल्ली और मुंबई समेत देश के कई प्रमुख शहरों से रेल सेवा के जरिए जुड़ा हुआ है। आप दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, पंजाब के शहरों या दक्षिणी राज्यों से भी देवघर आना चाहते हों तो जसीडीह आना आसान है।

यहां से देवघर के लिए ट्रेन, टैक्सी और लोकल बस सर्विस उपलब्ध है। देवघर में एयरपोर्ट है, लेकिन यहां से अभी कॉमर्शियल फ्लाइट के ऑपरेशंस शुरू नहीं हुए हैं। इसलिए बेहतर है कि आप ट्रेन से ही जाएं। वैसे दूरदराज शहरों से आने वाले लोग पटना और रांची एयरपोर्ट तक फ्लाइट से आ सकते हैं।

इसके बाद निजी वाहन, बस या ट्रेन से देवघर पहुंच सकेंगे। वैसे तो देवघर तक के लिए भी कई शहरों से सीधी ट्रेन सेवा है, लेकिन यहां से 10 किलोमीटर से भी कम दूरी पर स्थित जसीडीह स्टेशन यात्रियों के लिए सुविधाजनक है।

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और भी है खास-

सिर्फ श्रद्धा और आस्था के लिए ही नहीं, बल्कि घूमने के लिए भी बेहद शानदार जगह है। खासकर प्रकृति-प्रेमियों के लिए देवघर और आसपास का इलाका स्वर्ग सरीखा है। देवघर के आसपास की पहाड़ियां, यहां की हरियाली, प्रदूषण रहित वातावरण, भक्तिमय माहौल, यह सबकुछ आपको शानदार अनुभव देगा। देवघर के पास 50 किलोमीटर के दायरे में बासुकीनाथ महादेव का मंदिर है।

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त्रिकुटी पहाड़ -यहीं पर त्रिकूटी पहाड़ है, जहां सालोंभर हजारों की तादाद में पर्यटक आते हैं। देवघर आने वाले श्रद्धालु वैसे तो बासुकीनाथ महादेव का दर्शन करने जाते ही हैं। इस बहाने वे त्रिकुटी पहाड़ की सैर करना नहीं भूलते।

वहीं, देवघर में मौजूद तपोवन, नौलखा मंदिर जैसे भी कई स्थल हैं, जो श्रद्धालु और पर्यटक दोनों के लिहाज से घूमने लायक स्थल हैं।

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