सेंगर के बाद एक और भाजपा विधायक ने किया गैंगरेप, धरने पर बैठी पीड़िता
शाहजहांपुर। उत्तर प्रदेश में राजनीतिक रसूख का फायदा उठाकर अपराध को अंजाम देने और उससे बचने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी जाती। हाल ही में हाई प्रोफाइल मुद्दा बना उन्नाव गैंगरेप इसका बात का उदाहरण है। शाहजहांपुर की तिलहर सीट से बीजेपी विधायक रोशन लाल वर्मा के खिलाफ भी ऐसा ही मामला सामने आया है। मामला यह है कि सोमवार को एक महिला ने विधायक और उनके बेटे मनोज वर्मा के खिलाफ कलेक्ट्रेट ऑफिस के बाहर धरने पर बैठी गई। महिला का कहना है कि विधायक और उसके बेटे ने अपहरण कर उसके साथ गैंगरेप किया था।
जिला कलेक्ट्रेट ऑफिस के बाहर धरना देने वाली महिला ने बताया कि 2011 में विधायक और उसके बेटे ने उसका अपहरण कर गैंगरेप किया था। और अभी तक न्याय ना मिलने की वजह से वह ऐसा कर रही है। हालांकि प्रशासन के अधिकारियों ने कार्रवाही का आश्वासन देकर धरना खत्म करा दिया।
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महिला ने मामलें को खोलते हुए बताया कि गैंगरेप के बाद विधायक ने जोर-सिफारिश से सुलह कर अपने छोटे बेटे विनोद वर्मा से उसकी शादी करा दी थी। विधायक ने शादी क्षेत्र में अपनी छवि बनाए रखने और खुद और अपने बेटे को गैंगरेप केस की कार्रवाही से बचाने के लिए कराई थी महिला का कहना है कि यह मुझे तब पता चला जब मेरे पति ने मुझे छोड़ दिया। महिला और विधायक के छोटे बेटे की पांच साल की एक बेटी है जो पीड़ित के पास रहती है।
मामलें की तहकीकात करते हुए पुलिस ने भी बताया कि 2011 में ही विधायक रोशनलाल और उसके बेटे मनोज वर्मा के खिलाफ आईपीसी की धारा 376 (बलात्कार), 363 (अपहरण) और 366 (किडनैपिंग, गैरकानूनी ढंग से उठाकर ले जाना और शादी के लिए मजबूर करना) के तहत मामला दर्ज किया गया था, लेकिन सबूत की कमी और गवाह ना होने की वजह से केस 2013 में बंद कर दिया गया था।
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पति विनोद के छोड़ने के बाद महिला ने कोर्ट में दोबारा जांच की मांग की जिसके बाद कोर्ट ने 2016 में केस को सीबीसीआईडी (क्राइम ब्रांच क्राइम इंवेस्टिगेशन डिपार्टमेंट) को सौंप दिया था। महिला के मुताबिक सीबीसीआईडी का अधिकारी आरोपी मनोज के साथ मेरा बयान दर्ज करने आया जिसके बाद मेरे ऊपर केस वापस लेने का दबाव बनाया गया और धमकी भी दी गई, लेकिन मैं निडर होकर सब के खिलाफ खड़ी रही।
सोमवार को अतिरिक्त जिला मैजिस्ट्रेट जेके शर्मा ने महिला की शिकायत को उच्च अधिकारियों के पास भेजने का आश्वासन दिया है। जिसके बाद जाकर पीड़िता ने धरना वापस लिया। अडिशनल एसपी (सिटी) दिनेश त्रिपाठी ने बताया, मामले की जांच अभी सीबीसीआईडी के पास लंबित है, इसलिए हम इस मामलें में कोई कार्रवाही नहीं कर सकते।