PM मोदी पर फूटा मायावती का गुस्सा, कहा- SC-ST एक्ट पर ढुलमुल रवैया अपना रही सरकार

लखनऊ। एससी-एसटी (अत्याचार निवारण) कानून पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा अपने फैसले को बदलने से इनकार के लिए बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने मोदी सरकार को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने इस मामले में मोदी सरकार पर ढुलमुल रवैये का आरोप लगाया और कहा कि इस मामले को अब तक नहीं निपटना सरकार की विफलता है।

मायावती

पार्टी की ओर से जारी बयान में बसपा मुखिया मायावती ने एससी-एसटी (अत्याचार निवारण) कानून, 1989 को लगभग निष्क्रिय बना देने के मामले में मोदी सरकार के ढुलमुल रवैये की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि यह केंद्र सरकार की विफलता का ही परिणाम है कि वह इस गंभीर मामले का भी सही हल निकाल पाने में असमर्थ साबित हो रही है।

उन्होंने कहा कि दलित वर्ग के सरकारी कर्मचारियों के प्रमोशन में आरक्षण के मामले में भी केंद्र की मोदी सरकार अब तक नकारात्मक ही रही है।

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गौरतलब है कि मार्च 2018 में सर्वोच्च न्यायालय ने SC-ST एक्ट में संशोधन करते हुए कहा कि अब ऐसे किसी भी मामले में तुरंत गिरफ्तारी नहीं की जाएगी, जिसमें एससी-एसटी की धारा लगी हो।

जस्टिस आदर्श कुमार गोयल और जस्टिस उदय उमेश ललित की पीठ ने कहा है कि सबूतों और दलीलों को देखने सुनने के बाद ये यकीन हो गया था कि बड़े पैमाने पर इस एक्ट का दुरुपयोग बदला निकालने और ब्लैकमेल करने के लिए किया जा रहा है।

कोर्ट ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 के तहत दिशा निर्देश जारी करते हुए कहा, ऐसे किसी भी मामलों में कोई ऑटोमैटिक गिरफ्तारी नहीं होगी जो SC/ST के दायरे में आता हो।

इसके अलावा कोर्ट ने यह भी कहा कि गिरफ्तारी से पहले आरोपों की जांच होना सुनिश्चित की जाएगी। साथ ही आरोपी की गिरफ्तारी से पहले उसे जमानत भी दी जा सकती है।

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कोर्ट ने कहा कि आरोपी के खिलाफ केस दर्ज करने से पहले DSP स्तर का पुलिस अधिकारी आरोपों की प्रारंभिक जांच करेगा। इस दौरान दर्ज मामलों में अग्रिम जमानत पर भी कोई संपूर्ण रोक नहीं है।

इसके अलावा कोर्ट ने सबसे महत्वपूर्ण बातें कहीं कि इस एक्ट के दायरे में अगर कोई सरकारी कर्मचारी पाया जाता है तो उसकी गिरफ्तारी तभी संभव होगी, जब उसके विभाग के उच्चाधिकारी से मंजूरी प्राप्त होगी।

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