बेरोजगारी से तंग युवक ने मानी मोदी की बात, खोल लिया चाट का ठेला

Report-आदर्श त्रिपाठी  

हरदोई। नौकरियों पर चला हथौड़ा ,बेचो चाय तलो पकौड़ा ऐसे कुछ नारे तब सोशल मीडिया पर छाए रहे जब कुछ समय पहले एक इंटरव्यू में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष का राज्यसभा मे रोजगार के मुद्दे पर पकौड़ा बेचने को लेकर दिया गया बयान के बाद जमकर सियासती तीर एक दूसरे पर सरकार और विपक्ष के बीच छोड़े गए थे।  जगह जगह बेरोजगारों ने पकौड़े का ठेला लगाया तो राजनीतिक दलों ने भी पकोड़े बना कर पीएम और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह पर तंज कसा था। वह बातें भले ही राजनैतिक थी लेकिन उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले में एमए ,बीएड और टीईटी पास एक नवयुवक ने पिछले 7 सालों से रोजगार पाने के लिए संघर्ष करने के बाद कोई रोजगार ना मिलने के बाद हार मानकर सड़क पर एक चाट का ठेला लगा कर पकोड़े और टिक्की बेचकर अपना कारोबार शुरु कर दिया है ।

चाट का ठेला

दरअसल सालो से डिर्गी धारक इस नवयुवक ने अपने इस ठेले का नाम एमए ,बीएड टीईटी पास बेरोजगार चाट कार्नर रखा है ।पढ़ लिख कर ऐशो-आराम की जिंदगी जीने का सपना संजोए जब कई सालों सरकारी नौकरियों के फार्म भरते भरते हजारों रुपए बर्बाद करने के बाद कोई रोजगार ना मिला तो आखिर में इस नवयुवक ने चाट का ठेला लगाकर आलू की टिक्की बनाकर बेचना शुरू कर दिया है।  अब चुकी अपनी विशिष्ट पहचान लिए यह बेरोजगार कार्नर पर जिसकी भी नजर पड़ती है। वह एक बार इस चाट कॉर्नर पर चाट खाकर चटखारे लेता जरूर  नजर आ रहा है।

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हरदोई जिले के पिहानी कस्बे में तीन बंदर पार्क के पास पीछे सड़क पर लगे जरा इस लकड़ी के ठेले और इस पर लिखे इंग्लिश में M.A.B.ed.T.E.T 2011 बेरोजगार चाट कार्नर के ठेले पर नीले रंग के बोर्ड पर नजर पड़ते ही भले ही आप को यह प्रधानमंत्री और अमित शाह के ब्यान के बाद पकौड़ा पॉलिटिक्स का कोई विरोध प्रदर्शन होता लगे लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है।

दरअसल पिहानी कस्बे के निजामपुर मोहल्ले के रहने वाले निमिष गुप्ता ने सालों बेरोजगारी से संघर्ष करने के बाद रोजगार की नियत से यह चाट का ठेला लगाया है। दितीय श्रेणी में हाईस्कूल , प्रथम श्रेणी में इंटरमीडिएट, साइंस से बीएससी ,सोशलॉजी से एमए , भीमराव अंबेडकर यूनिवर्सिटी से B.Ed और शिक्षक पात्रता परीक्षा टेट पास करने वाले निमिष अपनी मां के इकलौते बेटे हैं।  आंगनबाड़ी विभाग में कार्यकर्ती के रूप में तैनात निमिष की मां ने निमिष को पिता और मां दोनों का प्यार दिया है।

उन्होंने अपने बेटे को संघर्ष करके पढ़ाई कराई जिससे वह समाज में सर ऊंचा करके चल सके। निमिष ने भी अपनी माँ के सपने को पूरा करने के लिए पढ़ाई करके तमाम डिग्रियां हासिल की। पढ़ाई में होशियार सरकारी नौकरी पाने के लिए लाखों रुपए सरकारी भर्तियों के फ़ार्म भरकर बहाने के बाद जब निमिष को पिछले 7 सालों में कोई रोजगार नहीं मिल सका तो मजबूरी में निमिष ने यह बेरोजगार चाट कार्नर का ठेला लगाकर रोजगार करना शुरू कर दिया है।

अब इतनी डिग्री लेने के बाद भी अगर निमिष को कोई सरकारी रोजगार नहीं मिला तो जाहिर सी बात है कि सरकार और सिस्टम के प्रति निमिष का विरोध भी है और उनका यह दर्द उनकी बातों से झलकता भी है।निमिष के मामा लोग मिठाई का कारोबार करते है ऐसे में मिठाई के कारोबार के लिए बड़ी पूँजी लगाना निमिष के बस की बात नहीं थी तो उन्होंने कम पूँजी में चाट कार्नर लगाकर बेरोजगार रहकर परेशां होने से बेहतर रोजगार करना शुरू किया है।

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निमेष को इतनी डिग्री मिलने के बाद भले ही कोई सरकारी  रोजगार ना मिला हो लेकिन अभी 3 ही दिन में निमिष का यह बेरोजगार चाट कार्नर पूरे इलाके में सुर्ख़ियों में आ चुका है। तमाम युवा निमिष की इस चाट कॉर्नर पर पहुंच कर चाट तो खा ही रहे हैं साथ में निमिष और उसके चाट के ठेले के साथ सेल्फी लेकर अपनी फेसबुक वॉल पर फोटो भी पोस्ट कर रहे हैं।  ऐसे में सुबह से अकेले खुद चाट तैयार करने वाले निमेष जब दोपहर तीन बजे अपना चाट का ठेला लेकर बाजार में पहुंचते हैं तो उनकी बनी हुई अपनी चाट बेचने में बहुत देर नहीं लगती है और कुछ ही घंटों में उनका यह बेरोजगार चाट कार्नर लोगों की भीड़ से खाली हो जाता है।

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