
नई दिल्ली: बिहार में रामनवमी के दिन से लगी हिंसा की आग अभी बुझी नहीं है. लेकिन इसका असर देश की राष्ट्रीय राजनीति पर दिखाई दे रहा है. जो नेता कल तक खुले मंचों से मतदाताओं के वोटों का ध्रुवीकरण कर रहे थे वही नेता आज राजनीति की बिसात पर दांव आजमा रहे हैं.
बिहार के भागलपुर और नवादा जिले में भड़की सांप्रदायिक हिंसा दिल्ली सल्तनत को कैसे झकझोर रही है इसका अंदाजा आप कांग्रेस पार्टी के उस बयान से लगा सकते हैं, जिसमें पार्टी ने भाजपा के घटक दल जेडीयू के नीतीश कुमार को अपने पाले (महागठबंधन) में आने को कहा है.
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पिछले कई दिनों से मोदी सरकार पार्टियों के अलग-थलग होने को लेकर जूझ रही है. इस वजह से विपक्ष ने यह कदम उठाया है. अगर नीतीश टूटे तो भाजपा को बड़ा झटका लगेगा.
कांग्रेस की मंशा है कि नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) को किसी भी तरह महागठबंधन का हिस्सा बनाया जाए. जिसके लिए पार्टी के दिग्गज नेताओं ने नीतीश कुमार से बात भी शुरू कर दी है.
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उधर, भागलपुर दंगों के मुख्य आरोपी भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे के बेटे अर्जित पर गिरफ्तार होने के बाद भी कार्यवाई न करने को लेकर भी विपक्ष लगातार दबाव बना रहा है.
इसके चलते विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने नीतीश सरकार पर हमला भी बोला था. तेजस्वी ने कहा था कि बिहार में लॉ एंड ऑर्डर पूरी तरह से खराब हो चुका है और मुख्यमंत्री बेखबर हैं.