
नई दिल्ली। समाजसेवी अन्ना हजारे ने आज दिल्ली के रामलीला मैदान में जूस पीकर अपना अनशन तोड़ दिया है। सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने केंद्र सरकार द्वारा उनकी मांगें माने जाने के बाद गुरुवार को अपनी अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल समाप्त कर दी।
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री गजेंद्र शेखावत ने गुरुवार शाम हजारे से मुलाकात कर केंद्र सरकार द्वारा उनकी मागें स्वीकार करने की सूचना दी।वहीँ आंदोलन खत्म होने के बाद अन्ना हजारे के मंच से भाषण देते समय महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पर जूता फेंका गया। यह जूता एक किसान ने फेंका।
देश भर में समाजिक न्याय व्यवस्था और भ्रष्टाचार के विरुद्ध अलख जगाने वाले समाज सेवी अन्ना हजारे ने सरकार के तरफ से आश्वासन पत्र मिलने के बाद अपना अनशन खत्म किया। करीब सात दिनों तक चलने वाला अन्ना का आंदोलन आज शाम को ख़त्म हो गया।
खबरों के मुताबिक मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के अनुरोध पर अन्ना हजारे की सभी मांगें सरकार के तरफ से मान ली गई हैं।
बता दें कि 23 मार्च से दिल्ली के राम लीला मैदान में बैठे अन्ना हजारे ने सरकार को 6 महीने का समय दिया है। जिसमें उन्होंने सरकार को अल्टीमेटम देते हुए कहा है कि अगर केंद्र सरकार हमारी मांगे इस अवधि के बीच में पूरी नहीं करती तो हम फिर से आंदोलन के लिए बाध्य होंगे और इसी रामलीला मैदान में फिर से अनशन करेंगे।
अनशन तोड़ते ही अन्ना ने मंच से कहा कि केंद्र सरकार ने किसानों के कृषि उपज की लागत के आधार पर डेढ़ गुना अधिक दाम देने का फैसला किया है। इसके अलावा लोकपाल की नियुक्ति पर भी मोदी सरकार जल्द फैसला लेगी। ऐसे में यदि सरकार वादा खिलाफी करती है तो हम एक बार फिर बड़े पैमाने पर आंदोलन करेंगे।
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साथ ही अन्ना हजारे ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट लिखकर शेयर किया जिसमे उन्होंने लिखा कि ‘कई दिनों से देख रहा हूं कि कई लोग मेरी आलोचना कर रहे हैं और मुझ पर झूठे आरोप लगाकर मुझे बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं’।
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अन्ना ने आगे लिखा, मैंने जीवन में बहुत आलोचना सहन की है और मुझे इससे कभी डर नहीं लगता ना ही मैं उससे दुखी होता हूं। मुझे देश हित के सिवा कुछ नहीं चाहिए, मुझे ना किसी से वोट मांगने हैं, ना कुछ और। दुख केवल इस बात का है कि मेरी आलोचना करने वाले सिर्फ झूठ बोलते हैं और उस पर बात नहीं करते जो मुद्दे मैंने आंदोलन में उठाए। फिर भी भगवान उनका भला करें।
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