
मुंबई| भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बुधवार को मौजूदा वित्त वर्ष 2017-18 की अंतिम द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में प्रमुख ब्याज दर रेपो रेट को छह फीसदी पर यथावत रखा है.
आरबीआई ने लगातार चौथी बार अल्प अवधि की ब्याज दर में कोई बदलाव नहीं किया है. इस बार आरबीआई ने वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में इजाफा के कारण महंगाई बढ़ने की आशंकाओं से ब्याज दर को यथावत रखा है.
आरबीआई ने मौद्रिक नीति समीक्षा की घोषणा करते हुए कहा कि औसत महंगाई दर को चार फीसदी रखने के लक्ष्य के मद्देजनर यह फैसला किया गया है.
खाद्य पदार्थो व ईंधन की कीमतों में लगातार हो रही बढ़ोतरी के कारण दिसंबर 2017 में सालाना महंगाई दर बढ़कर 5.21 फीसदी हो गई, जबकि नवंबर में यह 4.88 फीसदी थी.
माना जा रहा था कि भारतीय रिजर्व बैंक की पहली मौद्रिक समीक्षा समिति की बैठक में ब्याज दरों में कटौती को लेकर फैसला हो सकता है. हालांकि, विशेषज्ञों का मानना था कि इस बार भी केंद्रीय बैंक ब्याज दरों में कटौती करने से बचेगा.
सरकार का बजट आने के बाद पहली समीक्षा
बजट में ऐसी कई घोषणाएं सरकार ने की हैं, जिनके चलते राजकोषीय घाटा बढ़ने की आशंका जताई जा रही है.
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इससे संभावना यही जताई जा रही है कि इस बैठक में ब्याज दरों में कटौती करने के सामने महंगाई की दीवार आड़े आ सकती है.
अक्टूबर में भी आरबीआई द्वारा की गयी मौद्रिक नीति की बैठक में कर्ज को लेकर रेपो रेट में किसी तरह का कोई बदलाव देखने को नही मिला था.
आरबीआई ने विकास दर के अपने पिछले अनुमान को भी घटा दिया है. आरबीआई ने विकास दर के अनुमान को 7.3 फीसदी से घटाकर 6.7 फीसदी कर दिया था. बजट के बाद हो रही इस बैठक में इस पर भी नजर रहेगी कि आरबीआई विकास दर के अनुमान में भी कोई बदलाव करना है या नहीं.
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पिछले साल अगस्त में आरबीआई ने रेपो रेट में कटौती की थी. केंद्रीय बैंक ने रेपो रेट में इस दौरान 0.25 फीसदी तक कटौती की थी. इस कटौती के बाद रेपो रेट 6 फीसदी हो गया था.