
नई दिल्ली। पंजाब का सबसे प्रसिद्ध त्यौहार लोहड़ी को पूरे देश में काफी हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। पंजाबियों का यह त्यौहार हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और जम्मू-कश्मीर के कई हिस्सों में मनाया जाता है।
इस दिन सभी अपने घरों और चौराहों के बाहर लोहड़ी जलाते हैं। साथ ही आग का घेरा बनाकर दुल्ला भट्टी की कहानी सुनाते हुए रेवड़ी, मूंगफली और लावा खाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसे मनाने की वजह भगवान श्री कृष्ण और शिव जी से भी जुड़ी है-
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दरअसल एक प्रचालित लोक कथा के अनुसार मकर संक्रान्ति के दिन कंस ने श्री कृष्ण को मारने के लिए लोहिता नाम की राक्षसी को गोकुल भेजा था। जिसे श्री कृष्ण ने खेल-खेल में ही मार डाला था। उसी घटना के फलस्वरूप लोहड़ी पर्व मनाया जाता है।
भगवान शिव और सती से जुड़ी कथा
लोहड़ी मनाने और इस दौरान आग जलाने की परंपरा की एक पौराणिक कथा भगवान शिव और सती से भी जुड़ी है। एक कथा के मुताबिक, दक्ष प्रजापति की बेटी सती के योगाग्नि-दहन की याद में ही यह अग्नि जलाई जाती है।
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लोहड़ी और दुल्ला भट्टी की कहानी
एक कहानी के अनुसार कहा जाता है कि पंजाब में दुल्ला भट्टी नाम का एक शख्स था, जो गरीब लोगों की मदद करता था। उसने मुश्किल समय में सुंदरी और मुंदरी दो अनाथ बहनों की मदद की जिनको उसके चाचा ने जमीदारों को सौप दिया था। दुल्ला ने उन्हें जमीदारों के चंगुल से छुड़ाकर लोहड़ी की इसी रात आग जलाकर उनकी शादी करवा दी और एक सेर शक्कर उनकी झोली में डालकर विदाई की। माना जाता है कि इसी घटना के कारण लोग लोहड़ी का त्योहार मनाते हैं। दुल्ला भट्टी को आज भी प्रसिद्ध लोक गीत ‘सुंदर-मुंदिरए’ गाकर याद किया जाता है