
लखनऊ। प्रदेश में भाजपा सरकार बनने के बाद मंगलवार को सीएम योगी आदित्यनाथ ने अपनी पहली कैबिनेट मीटिंग की। मीटिंग में उन्होंने उस वादे को पूरा किया, जिसका वादा चुनावों से पहले किया गया था। किसानों की कर्जमाफी को लेकर लम्बी चर्चा के बाद योगी सरकार अपने अंतिम फैसले पर पहुंची। सभी की एक मत राय से सीएम योगी ने माफ़ कर दिया। इसके साथ ही प्रदेश की उन्नति और उज्जवल भविष्य के लिए कई अभूतपूर्व फैसले लिए।
फैसले के अनुसार यूपी के किसानों का एकलाख तक का कर्ज माफ़ हुआ है। सरकार कुल 36 हजार करोड़ देकर यह कर्जमाफी करेगी। इसके तहत तकरीबन 2.15 करोड़ किसानों को राहत मिलेगी।
किसानों की कर्जमाफी
चुनावी वायदे के मुताबिक यूपी के डेढ़ करोड़ किसानों का फसली ऋण माफ करने के लिए प्रस्ताव तैयार कर मंजूरी के लिए भेजा दिया गया था।
प्रस्ताव भेजे जाने की जानकारी रविवार को बनारस आए सूबे के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने दी। जिस पर कैबिनेट की पहली बैठक में फैसला लिया गया।
कैबिनेट की इस बैठक से पहले सूबे के पशुधन, लघु सिंचाई एवं मत्स्य मंत्री एसपी सिंह बघेल ने कहा कि हमने सिर्फ छोटे और लघु किसानों के ऋण माफ करने के वादे किए थे, जिसको पूरा किया जाएगा।
हालांकि फसली ऋण के अलावा कुछ और माफ नहीं होगा। कैबिनेट मंत्री बघेल ने यह भी साफ किया कि जिन किसानों ने भैंस, ट्रैक्टर और इंजन के लिए कर्ज लिए हैं, उनका कर्ज माफ नहीं किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि किसानों की कर्जमाफी का मुद्दा काफी अहम है। इसमें करीब 30 हजार करोड़ से लेकर 45 हजार करोड़ रुपये तक का कर्ज माफ किया जा सकता है।
पिछली ख़बरों के मुताबिक़ प्रदेश में दो करोड़ से ज्यादा लघु तथा सीमान्त किसान हैं, जिन पर करीब 65 हजार करोड़ रुपये का कर्ज है।
इस मामले में कृषि मंत्री ने बताया, योगी सरकार की कोशिश है कि किसानों की हर तरह से मदद हो।
किसान हित में गेहूं की सरकारी खरीद का लक्ष्य 40 लाख मीट्रिक टन से बढ़ाकर दोगुना कर दिया गया है।
किसानों को गेहूं बेचने में परेशानी न हो, इसके लिए हर 5 से 7 किलोमीटर पर एक क्रय केंद्र खुलेगा। समर्थन मूल्य 1625 रूपये प्रति क्विंटल किया गया है।
खरीद बढ़ने को देखते हुए भंडारण का इंतजाम भी कर लिया गया है। बंद पड़े गोदाम व पुराने कोल्ड स्टोरेज को दुरुस्त कर वहां किसानों से खरीदी गई फसल रखी जाएगी।
कृषि मंत्री ने बताया कि 2022 तक किसानों की आर्थिक स्थिति में व्यापक सुधार का लक्ष्य तय किया गया है। कोशिश होगी कि मौजूदा आय साढ़े 15 हजार प्रति कैपिटा को बढ़ाकर 3200 प्रति कैपिटा कर दी जाए।
किसानों को पीएम फसल बीमा योजना का पूरा लाभ दिलाने पर खास जोर है। फसल उत्पादन बढ़ाने को मिट्टी जांच के लिए हर जिले में केंद्र खोले जाएंगे। फिलहाल सूबे में 30 जांच केंद्र ही हैं।