मऊनाथ भंजन। माइनारिटी स्टूडेन्टस फोरम मऊ और नगर पालिका परिषद के तत्वाधान में नगर के मुहल्ला छीतनपुरा नई ईदगाह के पास सहन में एक भव्य मुशायरो एवं कवि सम्मेलन जश्ने अचानक का आयोजन हुआ। मुशायरो 9ः30 से आरम्भ हो कर रात 2 बजे तक चला। इस मुशायरे खासियत यह रही कि इस मुशायरे का कोई भी पोस्टर, बैनर या एलान नहीं किया गया था फिर भी मैदान में तिल रखने की जगह नहीं थी श्रोता से मैदान खचाखच भरा हुआ था। मुशायरे में सुरक्षा की दृष्टि से सीसी टीवी कैमरा लगाया गया था। विडियो रिकार्डिंग के लिए ड्रोन एवं क्रेन का प्रयोग किया गया। मुशायरे के कवरेज के लिए जी टीवी और ईटीवी लखनऊ को विशेष तौर से कवरेज के लिए बुलाया गया था।
प्रोग्राम को दो चरणों में बांटा गया था। पहले चरण के प्रोग्राम में माइनारिटी स्टूडेन्टस फोरम मऊ की तरफ से दिल्ली यूनिवर्सिटी से डण्च्ीपसस परिक्षा में टाप कर मऊ का नाम रौशन करने वाले नगर के मुहल्ला मदनपुरा निवासी अनीस अहमद को अवार्ड एवं 10 हजार नकद पुरस्कार दिया गया। वहीं मदरसा आलिया अरबिया के वरिष्ठ शिक्षक मौलाना मजहर सल्फी की किताब ‘‘रुहे सियासत’’ का विमोचन माइनारिटी स्टूडेन्टस फोरम के डायरेक्टर अरशद जमाल, समस्त शायर, नफीस करिश्मा ओजैर गिरहस्थ, डा0 वसीमुददी जमाली के हाथों हुआ। कार्यक्रम में रहमतुल्लाह अचानक मऊवी जिनके नाम मुशायरा और कवि सम्मेलन का आयोजन हुआ उनको ‘‘सितार-ए-अदब’’ के अवार्ड से सम्मानित करते हुए 25 हजार हजार नकद पुरस्कार भी दिया गया। अचानक मऊवी को अवार्ड देने से पूर्व मुशायरे के कन्वीनर साजिद गुफरान द्वारा उनका संक्षिप्त परिचय पेश किया गया। अनीस अहमद एमफिल का परिचय अशफाकुर्रहमान शरर एवं मौलान मजहर सल्फी का परिचय फैजान अंसारी द्वारा प्रस्तुत किया गया। मुशायरे के उदघाटन सामारोह को सम्बोधित करते हुए मुख्य आयोजक पूर्व पालिकाध्यक्ष अरशद जमाल ने लोगों का स्वागत करते हुए बताया कि आज का यह आयोजन मैं उन बच्चों के नाम समर्पित करना चाहता हूं जो शिक्षा प्राप्त करने के लिए देश के अलग अलग कोनों में अध्ययन कर रहे हैं तथा उन बेटों के नाम जो अपना परिवार चलाने के लिए विदेशों में कार्यरत हैं। हमने यह प्रयास किया है कि मुशायरा और कवि सम्मेलन की गिरती हुइ मर्यादा को रोकते हुए साहित्य के मार्ग पर चलाया जाये। उन्होंने हिन्दी कविता लिखने वाले कवियों से हिन्दी के साथ उर्दू शब्दांे का प्रयोग करने तथा उर्दू जबान में शायरी करने वाले शायरों से अनुरोध किया कि उर्दू के साथ हिन्दी शब्द मिलाकर कविताएं लिखें ताकि दोनों जबानों को एक दूसरे से करीबतर किया जा सके।
कार्यक्रम का दूसरा चरण
‘‘जश्ने अचानक’’ मुशायरा एवं कवि सम्मेलन में कवियों ने बांधा समा
मऊनाथ भंजन। माइनारिटी स्टूडेन्टस फोरम मऊ और नगर पालिका परिषद के तत्वाधान में नगर के मुहल्ला छीतनपुरा नई ईदगाह के पास सहन में आयोजित मुशायरो एवं कवि सम्मेलन के दूसरा चरण 10ः45 से आरम्भ हुआ जो देर रात 2 बजे तक चला। मुशायरा एवं कवि सम्मलेन में देश के विभिन्न शहरों के जाने माने कवि एवं कतर से आये शायर ने अपनी कविताएं प्रस्तुत की। मुशायरे आरम्भा तराना हिन्दी ‘‘सारे जहां से अच्छा हिन्दुस्तां हमारा’’ से किया गया। मुशायरे के आरम्भ में ही सबसे पहले बारहबंकी से आये कवि विकास बौखल ने अपनी हास्य एवं व्यंग की रचनाओं से लोगों को हंसते हंसते लोटपोट होने पर मजबूर कर दिया। उसके बाद शायर नदीम अब्बासी ने सुनाया कि
जो हाल उसका है उसपर नदीम क्या लिखूं
किसी जमाने में देवदास मैं भी था।।
देवबन्द से आये नदीम शाद ने कहा कि-
तेरी खातिर हर एक हद से गुजरना चाहता हूं। अगर मरना जरुरी है तो मरना चाहता हूं।।
नई नस्लों में जिससे एक नई उम्मीद पैदा हो। मेरे मौला कुछ ऐसा काम करना चाहता हूं।।
कतर यू0ए0ई से आये अतीक अन्जर नेे कहा कि।
कभी किसी के फरेबे वफा में मत आना।
कि होते हैं लोग दिल से जुदा ज़बां से अलग।।
वहीं मशहूर शायर अज़्म शाकरी ने जीवन की कठिनाईयों को उजागर करते हुए कहा कि
अब न रोएंगे खुशी के लिए। गम ही काफी है जिन्दगी के लिए।।
ज़हर भी लग गया दवा बनकर। हम ने खाया था खुदकुशी के लिए।।
हिन्दुस्तान के प्रसिद्ध कवि और शायर डाक्टर सुनील कुमार तंग ने हास्य कविताएं सुनाकर लोगों को मंत्रमुग्ध किया और व्यंग की बेहतरीन कविताएं प्रस्तुत की जैसे-
आजादी-ए हुकुमत का देखिये नजारा। रहने को घर नहीं सारा जहां हमारा।।
उल्लू के सामने अब चलती नहीं हमारी। हम बुलबुलें हैं इसकी यह गुलसितां हमारा।
लखनऊ से आये शायर ने इन्कलाबी नज्म पेश की और नौजवानों के दिलों में हौसला भरने की कोशिश की- चिरागों को बुझाना चाहती है। हवा भी आबो दाना चाहती है।।
और समाज पर तंज करते हुए कहा-
अमीरे शहर आंखे बन्द कर ले। गरीबी मुस्कुराना चाहती है।।
ताहिर फराज़ रामपूरी ने बेहतरीन गीत पेश कर नौजवान दिलों को गुदगुदाया और लोगों को वाह वाह करने पर मजबूर किया- जिन्दगी यह हमारी संवर जायेगी।। दूर तक रोशनी सी बिखर जायेगी।। चांदनी बाजुओं में खिर जायेगी।। काश मिल जाओ तुम दिन ठले।। चांद तारों की छैंयां तले।।
ताहिर फराज रामपूरी के बाद अचानक मऊवी ने अपनी हास्य रचनाएं सुनाकर लोगों को हंसने पर मजबूर किया – हर मर्ज़ की दवा बन जाऊं क्या।। आग पानी और हवा बन जाऊं क्या।। आ गयी है हाथ में दौलत मेरे।। सोचता हूं खुदा बन जाऊ क्या।।
आखिर में हिन्दी फिलमों में कई मशहूर गीत लिखने वाले शायर शकील आजमी ने देर तक अपनी रचनाएं सुनायी-
जिन्दगी देती नहीं सबको सुनहरे मौके।। तुझको अंगूठी मिली है तो नगीना बन जा।।
हार हो जाती है जब मान लिया जाता है।। जीत तब होती है जब ठान लिया जाता है।।