40 बाई 40 के कमरे में खेलकर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाने वाले खिलाड़ियों का है ये हाल

रिपोर्टर-सैय्यद अबू तलहा

लखनऊ-40 बाई 40 के हाल में टेबल टेनिस खेलते इन बच्चो को देख कर ये इतबार करना मुश्किल होता है कि, ये बच्चे देश विदेश में सूबे और भारत का नाम खेल में रौशन कर रहे है। लेकिन ये हकीकत है बुनियादी सुविधाओं से महरूम ये खिलाड़ी अपने जोश और खेल को लेकर अपने जूनून के दम पर टेबल टेनिस में अपना मुकाम हासिल कर रहे है।

इसका क्रेडिट उत्तर प्रदेश के पूर्व टेबल टेनिस खिलाड़ी और उत्तरी रेलवे के कर्मचारी योगेंद्र अग्रवाल को भी जाता है जिन्होंने इन हालातो में भी देश को टेबले टेनिस स्तर दिया।

इस छोटे से हाल में टेबल टेनिस की प्रक्टिस कर रहे ये खिलाड़ी किसी गली मौहले के खिलाड़ी नहीं बल्कि ये इंटरनेशनल और national स्तर पर खेल से अपना और सूबे का नाम रौशन किया है। उत्तरी रेलवे के टेबल टेनिस अकादमी पर एक नज़र डालने का विचार है कि पैडलर और कोच नियमित आधार पर प्रशिक्षित करना कितना मुश्किल है।

एक कमरे के अकादमी के अंदर खंभे पैडलर को केवल एक तरफ खेलने के लिए एक तरफ अनुमति देते हैं, जबकि दुसरी तरफ वाले लोग केवल बैकहैंड खेल सकते हैं। मौजूद वक्त में भारत के अंडर 12 में तीसरी रैंक प्राप्त और नेशनल परतियोगिता में रनर अप दिव्यवंश श्रीवास्तव कहते हैं, “हमारे पास इस तरह अभ्यास करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है,यही वजह है कि, मेरे लिए, शुरुआत करना मुश्किल था, लेकिन यह हमारे प्रशिक्षण का हिस्सा है और हम इसका आनंद ले रहे हैं,” उन्होंने आगे कहा कि अगर हमें सुविधा मिली तो हमे
इससे अच्छा पर्फोर्मंस दे सकते है।

एक ट्रक चालक के बेटे दिव्यंश के पास अपने बल्ले को खरीदने के लिए कोई पैसा नहीं था, लेकिन योगेंद्रने एक प्रतिभा के रूप में उसकी पहचान की और उसके किट और दुसरी चीज़े मुहय्या कराया जिसकी वजह से दिव्यांश ने प्रतियोगिता में सूबे का नाम रौशन किया जिसमे रेलवे कुछ अधिकारियों के अलावा, योगेंद्र के कुछ दोस्त और दुसरे खेल प्रेमी उनकी मदद कर रहे है। जिनकी वजह से इस अकदमी से राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर पदक जीतने वाले निकल रहे है।

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मौजूदा वक्त में इस अकादमी प्रशिक्षुओं से भरी है जिसमे उम्र के खिलाड़ी योगेंद्र के अंडर में ट्रेनिंग ले रहे है। जहां तक लखनऊ के टेबल टेनिस में सुनहरा इतिहास रहा है। जिसमे बिश्वाजीत गॉन, तपन बोस, विनोद मेहता, एसके डे, संजीव कपूर, सुजीत गॉन, गंभीर कपूर और राजीव कपूर जैसे कई पूर्व रैंकिंग वाले पैडलर इस जगह से हैं।लेकिन 1993 में यूपीटीटीए अकादमी की स्थापना के बाद से, यह से सिर्फ बैज अंपायर अमित सिंह समेत सिर्फ अंतरराष्ट्रीय अधिकारी ही निकले।

 

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