गीता टंडन : जांबाजी का वो नाम जिसे आज पूरा बॉलीवुड करता है सलाम

गीता टंडन खाने को कुछ ना होना, कम उम्र में शादी, 17 साल की उम्र में दो बच्चे, पति का अत्याचार और फिर समाज में दो बच्चों के लिए कमाना, ये सब वो समस्याएं हैं जो किसी भी इन्सान को तोड़ सकती हैं। लेकिन अगर हौसला हो कुछ करने का तो ये सारी परेशानियां छोटी पड़ जाती हैं। ऐसा ही कुछ सिद्ध किया है गीता टंडन ने। गीता टंडन आज बड़ी-बड़ी एक्ट्रेसेस के मुश्किल वक्त में काम आती हैं, उनके पर्दे पर दिखने वाले कठिन सीन करके। गीता आज जानी-मानी स्टंट वुमैन हैं।

नौ साल की उम्र में  उनकी मां गुजर गईं

गीता का जन्म एक बहुत ही गरीब परिवार में हुआ था। बड़ी मुश्किल से आठवीं तक की पढ़ाई की थी। गीता नौ साल की थीं जब उनकी मां गुजर गईं। उनके पिता पर दो बेटे और दो बेटों की जिम्मेदारी थी। उन दिनों अक्सर खाने को कुछ नहीं होता था। कई बार दो दिन तक लगातार भूखे रहना पड़ता था। ऐसे में क्या पढ़ाई होती? बस गीता खेलती खूब थीं, वो भी लड़कों के साथ। लड़कों के खेल, जैसे गुल्ली डंडा और क्रिकेट। और ऐसा खेलती थीं कि अपने से दो साल बड़े लड़कों को भी हरा देती थीं। फिर 15 साल की उम्र में अचानक गीता की शादी कर दी गई। लेकिन गीता के लिए ये शादी एक सजा बनकर रह गई। प्यार की जगह बस बदसलूकी और मार-पीट मिली। दो बार पुलिस में शिकायत तक की पर कुछ हासिल नहीं हुआ।

वह 17 साल की उम्र में दो बच्चों की माँ बन गईं। लेकिन बच्चों के बाद भी माहौल नहीं बदला। आखिर उन्होंकने तय किया कि उन्हें ये जिंदगी नहीं जीनी और अपने बच्चों के साथ पति का घर छोड़ दिया। वह कुछ दिन कभी बहन तो कभी अपने दोस्तों के घर में रहीं। कुछ दिन गुरुद्वारे में भी गुजारने पड़े। गीता के लिए सबसे बड़ी चुनौती काम ढूंढने की थी। गीता बच्चों को अक़्सर पानी में चीनी घोल कर कहती थीं कि ये दूध है और उनके बच्चेढ उसे रोते-रोते पी भी लेते थे। वह छोटा-मोटा हर काम ले लेती थीं। एक जगह रोजाना 500 रोटियां बनाने के लिए महीने का 1,200 रुपया मिलता था, उन्होंछने वह भी किया।
गीता टंडन गीता को जिंदगी के इन कड़वे अनुभवों ने समझदार बना दिया। अपने पिता की मदद से शादी के फंक्शन में नाचने का काम ढूंढा और धीरे-धीरे दो पैसे कमाने लगीं। वहीं दोस्त बने और उन्होंने देखा कि वह नाचने के लिए नहीं, बल्कि खेल-कूद और जांबाजी के कारनामों के लिए बनी हैं। उन्हेंफ शादी के ही एक प्रोग्राम में किसी औरत का नंबर मिला जो स्टंट्स करवाती थी। गीता उनसे दो महीने तक फोन कर काम मांगती रही। आखिरकार उन्होंने गीता को बिंदास चैनल के एक शो में एक किले से कूदने का स्टंट करने के लिए बुलाया। बस वहीं से गीता की जिंदगी पलट गई। उस दिन गीता ने जब एक तार से बंधकर छलांग लगाई तो मन में जितना भी डर था, वह चेहरे पर हौसले की तरह दिखने लगा। उसी के बल पर उन्हेंल आगे भी काम मिलता गया।
भारत में स्टंट करने वाली औरतें बहुत कम हैं इसलिए गीता के काम की मांग बढ़ने लगी। स्टंट के दौरान एक बार चेहरा जल गया, एक और बार रीढ़ की हड्डी फ्रैक्चर हुई, लेकिन गीता इन सबसे हार मानने वालों में नहीं थीं, तीन महीने के बाद ही वह कमर पर बेल्ट लगाकर फिर से काम पर निकल पड़ीं।
आज गीता का सपना है कि वो कोई हॉलीवुड-स्टाइल स्टंट करें। गीता ने इसकी कभी कोई ट्रेनिंग नहीं ली, उन्हें तो बस भगवान से और बच्चों से हिम्मत मिलती रही। आज गीता के बच्चे गीता को हीरो मानते हैं और गीता को इस बात का गुरूर है कि उन्होंने अकेले अपने दम पर अपने बच्चों को अच्छी परवरिश दी और अब वह उन्हें अंग्रेजी मीडियम के स्कूल में पढ़ा रही हैं।

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