35 ए को लेकर महबूबा ने पीएम मोदी से की ये अपील, बोली- न करें छेड़छाड़, वरना नतीजे भुगतने…
नई दिल्ली। पिछले कई दिनों से जम्मू कश्मीर को प्राप्त विशेष दर्जे को लेकर चर्चाएं बढ़ती जा रहीं हैं। इस बात को पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने कहा- कि अब मामला आर-पार का हो चुका है और भारत ने जनता के बजाय जमीन को तरजीह दी है।
महबूबा मुफ्ती ने पीएम मोदी से अपील करते हुए कहा कि वे राज्य के विशेष दर्जें के साथ छेड़छाड़ ना करें। उन्होंने कहा कि ऐसे कदम के नतीजे अच्छे नहीं होंगे।
अन्य पार्टियो के नेताओं से मुलाकात करते हुए महबूबा ने राज्यपाल सत्यपाल मलिक से मुलाकात की और उनसे उन ‘‘अफवाहों को खारिज करने का अनुरोध किया जिससे घाटी के लोगों में डर महौल बना हुआ है।’’
उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि अपनी विशिष्ट पहचान की रक्षा के लिये जो कुछ भी बाकी बचा है, उसे भारत, जम्मू कश्मीर की जनता से ‘‘बलपूर्वक छीनने’’ की तैयारी में है।
पीडीपी अध्यक्ष ने ट्वीट किया, ‘‘आप एकमात्र मुस्लिम बहुल राज्य के प्यार को जीतने में नाकाम रहे, जिसने धार्मिक आधार पर विभेद को खारिज किया और धर्मनिरपेक्ष भारत को चुना। अब मामला आर-पार का हो चुका है और भारत ने जनता के बदले जमीन को तरजीह दी है।’’
उन्होंने एक और ट्वीट कर कहा, ‘‘(पीडीपी के संस्थापक और दो बार मुख्यमंत्री रहे) मुफ्ती (मोहम्मद सईद) साहब हमेशा कहा करते थे कि कश्मीरियों को जो कुछ भी मिलेगा वह उनके अपने देश भारत से मिलेगा। लेकिन आज ऐसा लगता है कि अपनी विशिष्ट पहचान की रक्षा के लिये उनके पास जो कुछ भी बचा था, यही देश उनसे वह बलपूर्वक छीनने की तैयारी कर रहा है।’’
शाम को अपने आवास पर एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि अगर प्रधानमंत्री ‘‘इंसानियत, जम्हूरियत, कश्मीरियत’’ के बारे में बात करके कश्मीर के लोगों का दिलों-दिमाग जीतना चाहते हैं तो ऐसा माहौल क्यों बनाया जा रहा है जहां लोगों को लग रहा है कि उनकी पहचान खतरे में है।
महबूबा ने कहा, ‘‘मुझे भरोसा है कि देश के लोग जम्मू कश्मीर के लोगों को चाहते हैं ना कि केवल भूमि। लेकिन स्थिति ऐसी है कि ऐसा लग रहा है कि आप जम्मू कश्मीर को क्षेत्र का मुद्दा समझते हैं। पूरा क्षेत्र पहले से ही आपके साथ है।’’
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उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर ही एकमात्र मुस्लिम बहुत राज्य है जिसने मुश्किल समय में इस शर्त पर दो राष्ट्र की थ्योरी नकार दी और एक धर्मनिरपेक्ष तथा लोकतांत्रिक भारत में शामिल हो गया कि उसकी विशिष्ट पहचान की रक्षा की जाएगी।