
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में एनडीए की शानदार जीत के एक दिन बाद भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने आंतरिक अनुशासन को कड़ाई से लागू करते हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री आरके सिंह को पार्टी से छह साल के लिए निलंबित कर दिया।
पार्टी नेतृत्व ने अनुशासनहीनता और एंटी-पार्टी गतिविधियों को कारण बताते हुए यह कदम उठाया, जिसमें सिंह के विवादित बयानों का प्रमुख स्थान है। साथ ही, विधान परिषद सदस्य (एमएलसी) अशोक कुमार अग्रवाल और उनकी पत्नी, कटिहार की मेयर उषा अग्रवाल को भी पार्टी से निलंबित किया गया। सभी से एक हफ्ते में जवाब मांगा गया है, जिसमें यह स्पष्ट करने को कहा गया है कि उन्हें स्थायी रूप से निष्कासित क्यों न किया जाए।
बीजेपी हाईकमान का मानना है कि हालिया चुनावी माहौल में आरके सिंह के बयान पार्टी लाइन से पूरी तरह विपरीत थे, जिससे संगठन को नुकसान पहुंचा। सूत्रों के अनुसार, सिंह ने चुनाव प्रचार के दौरान एनडीए नेताओं पर भ्रष्टाचार, गुटबाजी और अपराधिक पृष्ठभूमि के आरोप लगाए, साथ ही चुनाव आयोग की कानून-व्यवस्था संभालने की आलोचना की। विशेष रूप से, उन्होंने मोकामा हिंसा को प्रशासनिक विफलता बताते हुए मतदाताओं से अपील की कि एनडीए के कुछ उम्मीदवारों जैसे उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी और पूर्व गैंगस्टर आनंद सिंह जैसे चेहरों को वोट न दें। इसके अलावा, उन्होंने बिहार सरकार पर पावर स्कैम का आरोप लगाया और आरजेडी के कुछ उम्मीदवारों को भी नकारा। इन बयानों ने पूरे राज्य में राजनीतिक विवाद खड़ा कर दिया था, लेकिन चुनाव के दौरान कार्रवाई टाल दी गई ताकि मामला न बढ़े।
आरके सिंह, जो आरा से दो बार सांसद रह चुके हैं और पूर्व में ऊर्जा एवं नवीकरणीय ऊर्जा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) थे, बिहार की राजनीति में एक प्रमुख चेहरा माने जाते हैं। 2024 लोकसभा चुनाव में वे अपनी सीट हार गए थे। पार्टी ने उन्हें भेजे गए सख्त पत्र में कहा, “आपकी गतिविधियां पार्टी के खिलाफ हैं और संगठन को नुकसान पहुंचा रही हैं। इसलिए आपको निलंबित किया जा रहा है और शो-कॉज नोटिस जारी किया जा रहा है। एक हफ्ते में अपना पक्ष स्पष्ट करें।”





