उत्तराखंड के 13 हजार शिक्षकों की नौकरी संकट में

एनसीटीईदेहरादून। उत्तर प्रदेश र उत्तराखंड में विशिष्ट बीटीसी कोर्स लगातार होते आ रहे हैं। समय के रहते यूपी सरकार ने एनसीटीई से मान्यता प्राप्त कर ली है। लेकिन अभी उत्तराखंड को यह मान्यता नही हासिल हो पाई है। शिक्षा विभाग को इसमें जितनी गंभीरता 2005 से 2009 में दिखाना था उतनी इस समय दिखानें में कामयाब नही हुई। वर्ष 2009 में विशेष वाहक के द्वारा शिक्षा विभाग ने एनसीटीई को दस्तावेज भेजे थे, लेकिन एनसीटीई का बोर्ड फेल हो जाने के कारण उस समय प्रक्रिया बीच में ही रूक गई। जिसके  बाद से मान्यता पर किसी ने तवज्जो नही दिया।

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एनसीटीई से मान्यता में यूपी से पिछड़ा उत्तराखंड

देहरादून चंद्रशेखर बुड़ाकोटीशिक्षा विभाग के अफसरों द्वारा एक बड़ी चूक की वजह से राज्य के लगभग 13 हजार बेसिक और जूनियर शिक्षकों को अपनी नौकरी चले जाने का खतरा सर पर मंडराता हुआ नजर आ रहा है। केंद्र सरकार के नए मानकों के अनुसार,विशिष्ट बीटीसी के आधार पर उत्तराखंड में बेसिक और जूनियर स्तर पर नियुक्त 13 हजार 175 शिक्षक एक ही झोंके में ही अप्रशिक्षित शिक्षक की रेंज में आ गए हैं।

राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद से बगैर मान्यता ही विशिष्ट बीटीसी कोर्स कराने की वजह से यह शिक्षक अप्रशिक्षित शिक्षक की श्रेणी में आ खड़े हुए हैं ।इसे केंद्र सरकार प्रशिक्षित शिक्षक के लिए उपयुक्त योग्यता नहीं मान रही है। अब इन शिक्षकों के पास एक ही चारा है अपनी नौकरी को बचाए रखने का,  इन शिक्षकों को 31 मार्च 2019 से पहले एनसीटीईटी के स्तर से बेसिक और जूनियर शिक्षक के लिए निर्धारित शैक्षिक योग्यता को अनिवार्य रूप से प्राप्त करना होगा।

सरकार ने इस मामले में एनसीटीई से छूट देने की मांग की है। शिक्षा सचिव चंद्रशेखर भट्ट और महानिदेशक शिक्षा आलोक शेखर तिवारी ने केंद्र और एनसीटीई को खत लिखकर भेजा और उसमें अनुरोध जताया कि उत्तराखंड के 13 हजार 175 विशिष्ट बीटीसी, बीपीएड, सीपीएड, डीपीएड को प्रशिक्षित शिक्षक की श्रेणी में दर्जा दिया जाए। उन्होंने यहां संचालित विशिष्ट बीटीसी को 2001 से 2017 के तक मान्यता देने की गुजारिश भी की। यदि एनसीटीई नहीं पिघला तो इन शिक्षकों की नौकरी संकट में आ जाएगी।

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