उत्तर प्रदेश। राजधानी लखनऊ में शुरू की गयी 1090 वूमेन पावर लाइन का डंका अब सात समुन्दर पार अमेरिका में भी बज सकता है। देशभर के तमाम राज्यों में वाहवाही लूटने के बाद अमेरिका की टेक्सास यूनिवर्सिटी पावरलाइन के सामाजिक प्रभाव पर रिसर्च करने जा रही है।
15 नवंबर 2012 को वूमेन पावर लाइन की शुरुआत होते ही पूरे प्रदेश से सड़क छाप मजनुओं की शिकायतों का अंबार लग गया। आलम यह है कि अपनी शुरुआत से पावर लाइन पर 6 लाख 61 हजार से ज्यादा शिकायतें आ चुकी हैं। जिनमे से पेंडिंग केस महज 11 हजार के आसपास बचे हैं।
भारत में सामाजिक बदलावों पर काम कर रहे टेक्सास यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर अनुपम अग्रवाल ने बताया कि उन्होंने रिसर्च के लिये पहले फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया, टाटा मोटर्स समेत तमाम सब्जेक्ट्स पर सोचा, जिनके जरिए समाज में बदलाव आया है। लेकिन, 1090 द्वारा में इतनी बेहतर परफॉरमेंस ने उन्हें प्रभावित किया।
वे अपने साथी प्रोफेसर्स के साथ अब तक दो बार अमेरिका से पावर लाइन हेडक्वार्टर का दौरा कर चुके हैं। प्रोफेसर अनुपम कहते हैं कि अब तक उन्होंने पाया कि छेड़खानी का शिकार युवतियां, जो पहले छेड़खानी को नजरंदाज कर देती थी वहीं, अब घटना होते ही 1090 पर कॉल कर शिकायत करती हैं।
इसका साफ मतलब है कि न सिर्फ महिलाओं व युवतियों में आत्मविश्वास में बढ़ोत्तरी हुई है बल्कि, उनकी इस तरह के अपराधों पर सहनशक्ति भी कम हुई है। यही बदलाव उनकी रिसर्च का विषय होगा।