1000 साल पुराने एक स्टैच्यू में बौद्ध भिक्षु के मिले ममीफाइड अंश

एक हजार साल पुराने एक स्टैच्यू में बौद्ध भिक्षु के ममीफाइड अंश मिले हैं. ऐसा माना जा रहा है कि भिक्षु ने अपनी मौत होने तक साधना की थी. साइंटिस्ट्स ने स्टैच्यू को स्कैन करके हड्डियों के अंश की खोज की. स्टैच्यू में बौद्ध भिक्षु के कंकाल बिल्कुल लोटस पोजिशन में मिले. ऐसा माना जा रहा है कि चीनी मेडिटेशन स्कूल से जुड़े रहे पैट्रिआर्क झैन्गोन्ग ऊर्फ झांग के ये अंश हो सकते हैं.

 महेंद्र मेडिकल सेंटर

 

इस स्टैच्यू को चीन से चोरी करके एक डच एंटीक कलेक्टर नीदरलैंड ले गया था. जांच के लिए इस स्टैच्यू से 2015 में ही सैंपल लिया गया था. इसकी वजह से नीदरलैंड और चीन में तकरार भी हुई थी. चोरी के करीब 20 सालों बाद इससे जुड़े टेस्ट किए गए थे. लेकिन विवाद की वजह से आज तक ये सामने नहीं आया है कि असल में इसे कहां रखा गया है.

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ऐसा माना जाता है कि झांग ने अपने आप का ममीफिकेशन किया था. ये एक बेहद धार्मिक रिवाज होता था और कुछ ही लोग ऐसा करते थे. इसका उद्देश्य लिविंग बुद्धा बनना होता था. पहले एक हजार दिनों तक भिक्षु बादाम, बीज और बेरी छोड़कर बाकी हर तरह के खाने को त्याग देता था. इसके बाद आगामी एक हजार दिनों तक वह सिर्फ कंद-मूल खाता है. इसके बाद उरुशी के पेड़ से बनी जहरीली चाय पीने लगता था.

इसके बाद भिक्षु एक छोटे से पत्थर की गुंबद में बंद होकर रह जाता था जिससे एक एयर ट्यूब और घंटी लगी होती थी. वह लोटस पोजिशन में अपनी मौत तक ध्यान करता था. इसके बाद गुंबद को ममीफिकेशन के लिए सील कर दिया जाता था और उसे बुद्ध करार दिया जाता था.

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