10वीं की छात्रा ने की स्कूल बाथरूम में सुसाइड, और नोट में लिखा अपनी मौत का ब्यौरा, पुलिस सकते में !   

निशि (नाम बदल दिया गया है) कोलकाता के जीडी बिरला स्कूल में पढ़ती थी. 10वीं क्लास में. अपने क्लास की टॉपर थी. 21 जून का दिन था. सातवां पीरियड चल रहा था. जब टीचर क्लास में आई तो पता चला निशि छठे पीरियड से गायब है.

जब उसे ढूंढा गया तो वो स्कूल के टॉयलेट में मिली. उल्टे हाथ की कलाई पर कट के निशान थे. खून से सना हुआ ब्लेड पड़ा था. मुंह पर प्लास्टिक का बैग बंधा हुआ था. बगल में तीन पन्ने का सुसाइड नोट था. उसे फौरन पास के हॉस्पिटल ले जाया गया. पर अस्पताल पहुंचते तक उसकी मौत हो चुकी थी.

ये सुसाइड है या नहीं, इसका पता लगाने के लिए बॉडी को पोस्टमोर्टम के लिए भेजा गया. 23 जून को रिपोर्ट आ गई. रिपोर्ट में पता चला कि मौत की वजह सुसाइड थी. दम घुटने से निशि की मौत हुई थी.

 

निशि ने सुसाइड क्यों किया?

10वीं क्लास में पढ़ने वाली लड़की. उसके पास सुसाइड करने की क्या वजह हो सकती है?

इसका जवाब ख़ुद निशि ने अपने सुसाइड नोट में दिया. पिछले कुछ महीनों से निशि सुसाइड करने की कोशिश कर रही थी.

इससे पहले भी एक बार वो कोशिश कर चुकी थी. उसने घर में खुद की जान लेने की कोशिश की थी. इसके बारे में उसकी मां ने स्कूलवालों को भी बताया था.

 

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अब आते हैं वजह पर.

वजह थी मेंटल प्रेशर. निशि काफ़ी समय से सीरियस डिप्रेशन में थी. स्ट्रेस में थी. पिछले तीन महीनों से वो ढंग से सोई नहीं थी. नोट में निशि ने लिखा कि वो काफ़ी पियर प्रेशर में थी. यानी अपने साथियों के प्रेशर में. वो अपने बोर्ड एग्ज़ाम की तैयारी कर रही थी. एग्जाम में अच्छे नंबर लाने का उसपर बहुत प्रेशर था. ख़ासतौर पर उसके परिवार की तरफ़ से.

निशि को इंडियन स्टैटिस्टिकल इंस्टिट्यूट में एडमिशन चाहिए था. उसकी वो जमकर तैयारी कर रही थी. पर प्रेशर की वजह से वो बहुत डिस्टर्ब रहती थी.

 

सुसाइड नोट में क्या लिखा

पुलिस के मुताबिक तीन पन्ने के सुसाइड नोट के दो पन्ने पहले से लिखे गए थे. आख़री पन्ना निशि ने स्कूल के बाथरूम में मरने से पहले लिखा था. उसमें उसने लिखा कि मरते वक्त उसे कैसा लग रहा था.

उसने लिखा कि हाथों को काटने के बाद उसे कैसे दर्द हो रहा था. ऑक्सीजन की कमी की वजह से घुटन हो रही थी. ये सोचकर भी डर लगता है कि बच्ची के दिमाग में क्या चल रहा होगा जब वो अपनी मौत का ब्यौरा लिख रही होगी. ये पढ़कर पुलिसवाले भी सकते में आ गए.

निशि ने नोट में लिखा कि वो पहली क्लास से सुसाइड करना चाहती थी.

अपने ख़त में उसने अपने परिवार से एक रिक्वेस्ट भी की. उसने लिखा था: ‘गिव मी अ नाइस फ्यूनरल.’ यानी मेरा अंतिम संस्कार अच्छे से करना!

 

पुलिस क्या कह रही है

पुलिस का कहना है कि वो अभी निशि के घरवालों से डिटेल में पूछताछ नहीं कर पाए हैं. वो काफ़ी सदमे में हैं. शुरुआती जांच से पता चला है कि निशि को किताबें पढ़ने का बहुत शौक था. वो इंटरनेट पर कम ही रहती थी. पर उसके फ़ोन और लैपटॉप में अहम जानकारी मिल सकती है.

 

स्कूल का क्या कहना है

स्कूल की एक सीनियर टीचर का कहना है:

“हमें यकीन नहीं हो रहा है निशि ने ऐसा किया. मैंने उसे बड़े होते हुए देखा है. उसने फैमिली और अपने साथियों पर दोष डाला है तो हम स्कूल को कैसे ब्लेम कर सकते हैं. हर क्लास में 40 से 50 बच्चे हैं. हर बच्चे की ख़बर रख पाना मुश्किल होता है. इसमें टीचर पर दोष नहीं डाल सकते.”

टीचर्स का ये भी कहना है कि स्कूल में एक काउंसलर मौजूद है. जिन बच्चों को कोई मानसिक परेशानी होती है, उन्हें काउंसिलिंग के लिए भेजा जाता है. साथ ही बच्चों को खुलकर अपनी परेशानी के बारे में बात करने के लिए कहा जाता है.

 

साइकोलॉजिस्ट क्या कहते हैं

इस बारे में हमने बात की डॉक्टर नीरू कंवर से. वो पेशे से क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट हैं. गुरुग्राम में प्राइवेट प्रैक्टिस करती हैं. उन्होंने कहा:

“ये केस बहुत दुखद है. कोई भी बच्चा अगर ख़ुद को मारने की कोशिश करता है तो ये अपने आप में दिल तोड़ने वाली बात है. अगर बच्ची पहली क्लास से सुसाइड करना चाहती थी तो ये बहुत शॉकिंग है.

इसका मतलब है उसके अंदर काफ़ी दुःख था. उसको ऐसा लगता था कि कोई भी उसकी तकलीफ़ नहीं समझेगा. वो किसी से अपने दिल की बात नहीं कर सकती.

कई ऐसे केसेस में बच्चे के पेरेंट्स बात की गहराई नहीं समझ पाते. या घर पर कोई परेशानी होती है इसलिए बच्चे पर ध्यान नहीं दे पाते.”

 

डॉक्टर नीरू ने ये भी बताया कि पेरेंट्स को अपने बच्चे की किन बातों पर नज़र रखनी चाहिए. ताकि अगर उनका बच्चा डिप्रेशन में है तो उन्हें पता चल सके.

वो कहती हैं:

“आपको अपने बच्चे के बिहेवियर पर नज़र रखनी होगी. अव्वल तो बच्चों पर ऐसा प्रेशर मत डालें कि वो आपसे बात भी न कर पाएं. सब मां-बाप चाहते हैं कि उनके बच्चे पढ़ाई में अच्छा करें पर उनको ओवरलोड करना बंद करिए.

साथ ही अगर आपका बच्चा बहुत चुप रहने लगा है, या बहुत हाइपर हो गया है तो इसका मतलब है वो कहीं न कहीं आपका अटेंशन चाहता है. अगर वो दुःख भरी चीज़ें लिख रहा है तो इसपर ध्यान दीजिए. टीवी या फ़िल्में भी अगर वो ट्रेजेडी वाली देख रहा है तो उसपर ध्यान दीजिए.

खून-ख़राबे वाले गेम्स खेलने पर भी उनसे बात करिए. आपके बच्चे को इस बात पर यकीन होना चाहिए कि वो खुलकर आपसे बात कर सकता है.”

गलती किसकी है. ये कहना मुश्किल है. और ठीक भी नहीं. पर एक 10वीं क्लास में पढ़ने वाली बच्ची ने सुसाइड किया. ख़ुद ये बताया कि वो डिप्रेशन में थी.

अगर 10वीं क्लास नें पढ़ने वाला बच्चा इतना डिप्रेशन में है तो इसमें गलती है सबकी. हर उस इंसान और सिस्टम की जो बच्चों पर इतना प्रेशर डाल देते हैं कि वो टूट जाए.

 

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