यह पत्ती बचाएगी आपको स्वाइन फ्लू से, जानें इसके फायदे

स्वाइन फ्लूइन दिनों स्वाइन फ्लू के मामलों में अचानक से बढ़ोत्तरी हो गई है। स्वाइन फ्लू(एच1एन1 फ्लू वायरस) अधिकांश पशुओं जैसे सुअरों में पाया जाता है। इन पशुओं का सेवन करने पर या इन में पाए जाने वाले स्वाइन फ्लू के वायरस के द्वारा वातावरण के दूषित होने पर जब मनुष्य इस वायरस के संपर्क में आता है तो वह भी इसका शिकार हो जाता है।

आमतौर पर यह देखने में आता हैं कि स्वाइन फ्लू के लक्षण बहुत ही साधारण बीमारी जैसे होते हैं- सर्दी, खांसी और बुखार, परन्तु यह लक्षण कभी-कभार जानलेवा भी हो सकते हैं।

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तुलसी है बहुत लाभकारी

स्वाइन फ्लू से निजात पाने के लिए तुलसी की पत्तियों का सेवन बहुत लाभकारी हो सकता है। तुलसी में एंटीबैक्टिरीयल गुण होते हैं जो शरीर सहित रक्षा तंत्र को बेहतर बनाने में मदद करता है और शरीर में वायरल रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ाता है।

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क्या करें और क्या न करें स्वाइन फ्लू में

तुलसी के साथ गिलोय और हल्दी का सेवन करने से, शरीर में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है और स्वाइन फ्लू से बचाव करने की संभावना भी बढ़ जाती है। स्वाइन फ्लू से बचने के लिए ठंडी चीजें जिनसे से कफ होने की संभावना हो उनसे परहेज करना चाहिए और पालक, लहसुन और मूली का सेवन करना चाहिए। यदि फेफड़ों में कफ जमा हो जाए तो सरसों के तेल से शरीर की मालिश करना उपयोगी होता है।

  • तुलसी कई औषधीय गुणों के कारण बेशकीमती एवं आश्चर्यजनक जड़ी बूटी मानी जाती रही है। आयुर्वेदिक डॉक्टर अब स्वाइन फ्लू से बचाव व रोकथाम के लिए  प्रतिदिन तुलसी के प्रयोग को बहुत उपयोगी और लाभकारी बता रहे है।
  • तुलसी का प्रयोग वैकल्पिक चिकित्सा को बदलने का सही समय भी हो सकता है। तुलसी शरीर सहित समग्र रक्षा तंत्र को बेहतर बनाती है और शरीर में वायरल से होने वाले रोगों से लड़ने की क्षमता को भी बढ़ाती है।
  • तुलसी ना सिर्फ स्वाइन फ्लू में एक निवारक दवा के रूप में कार्य करती है अपितु तेजी से उभर रही बीमारी को कम करने का कार्य भी करती है।
  • अदरक, गुड़ अथवा गिलोय के साथ तुलसी के मिश्रण का प्रयोग शारीरिक सुरक्षा प्रणालियों को बढ़ाता है। स्वाइन फ्लू नियंत्रित करने के लिए ताजा तुलसी का रस या कम से कम 20-25 मध्यम आकार के तुलसी के पत्ते अथवा पत्तों का पेस्ट का खाली पेट नियमित रूप से दिन में दो बार सेवन किया जाना चाहिए।
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