
नई दिल्ली । भारतीय वायुसेना के बेड़े में आज यानी एक जुलाई को देश में बने पहले लाइट कॉम्बेट एयरक्राफ्ट ‘तेजस’ को शामिल किया जाएगा। तेजस का विकास शुरू होने के लगभग तीन दशक बाद बेंगलूर में भारतीय वायुसेना के बेड़े में शामिल किया जाएगा। फिलहाल इस नए स्क्वाड्रन में सिर्फ दो स्वदेशी तेजस को शामिल किया जाएगा। तेजस की पहली स्क्वाड्रन का नाम ‘फ्लाइंग डैगर्स 45’ होगा।
बता दें कि वायुसेना के इतिहास में यह पहला मौका होगा जब देश में निर्मित किसी युद्धक विमान की स्क्वाड्रन का सपना साकार होने जा रहा है। हालांकि, इस स्क्वाड्रन में अभी सिर्फ दो ही विमान होंगे और इसे भरने के लिए लंबा इंतजार करना होगा। वायुसेना सूत्रों के अनुसार, अभी दो विमानों से यह स्क्वाड्रन शुरू होगी और मार्च 2017 तक छह और तेजस मिलने की संभावना है। सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) दोनों स्वदेशी तेजस को आज भारतीय वायुसेना को सौंपेगी।
अधिकारियों के मुताबिक तेजस दुनिया में उत्कृष्ट विमान के रूप में उभर रहा है। विकसित होने के दौरान विमान ने ढाई हजार घंटे के सफर में तीन हजार बार उड़ान भरी है और इसका प्रदर्शन बेहतरीन रहा है। पहले दो साल यह स्क्वाड्रन बेंगलूर में रहेगा फिर तमिलनाडु के सुलूर चला जाएगा।
स्वदेशी तेजस के बारे में जानिए
लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एलसीए) प्रोग्राम को मैनेज करने के लिए 1984 में एलडीए (एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी) बनाई गई थी।
एलसीए ने पहली उड़ान 4 जनवरी 2001 को भरी थी।
अब तक यह कुल 3184 बार उड़ान भर चुका है।
स्वदेशी तेजस की खूबियां
तेजस 50 हजार फीट की ऊंचाई तक उड़ान भर सकता है।
तेजस के विंग्स 8.20 मीटर चौड़े हैं। इसकी लंबाई 13.20 मीटर और ऊंचाई 4.40 मीटर है।
तेजस का वजन 6560 किलोग्राम है।
तेजस दुश्मन के विमानों पर हमला करने के लिए हवा से हवा में मार करने वाली डर्बी मिसाइलों और जमीन पर स्थित निशाने के लिए आधुनिक लेजर डेजिग्नेटर और टारगेटिंग पॉड्स से लैस है।
क्षमता के मामले में कई मायनों में यह फ्रांस में निर्मित मिराज 2000 के जैसा है।
तेजस का फ्लाइट कंट्रोल सिस्टम जबरदस्त है और यह कलाबाजियों में माहिर है।
विमान का ढांचा कार्बन फाइबर से बना है , जो कि धातु की तुलना में कहीं ज्यादा हल्का और मजबूत होता है।
इसमें सेंसर तरंग रडार लगाया गया है, जो कि दुश्मन के विमान या जमीन से हवा में दागी गई मिसाइल के तेजस के पास आने की सूचना देता है।
एयर चीफ मार्सल अरुप राहा ने लिया था ट्रायल
एयर चीफ मार्शल अरुप राहा ने बीते 17 मई को 30 मिनट तक तेजस का ट्रेनर वर्जन उड़ाया था।
राहा ने बेंगलुरु के हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लि. (HAL) के एरोड्रम से उड़ान भरी थी।
इस मौके पर राहा ने कहा था, ‘तेजस एयरफोर्स के ऑपरेशन के लिए बेहतर साबित होगा।’