यूएनएससी में भारत का पाकिस्तान पर तीखा प्रहार: अवैध कब्जे वाले इलाकों में मानवाधिकार उल्लंघन बंद करे, पी. हरीश ने कहा- जम्मू-कश्मीर हमेशा भारत का अभिन्न अंग

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में 80वें संयुक्त राष्ट्र दिवस के अवसर पर आयोजित खुली बहस के दौरान भारत ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) के मुद्दे को जोरदार तरीके से उठाया। भारत के स्थायी प्रतिनिधि परवथानेनी हरीश ने पाकिस्तान को लताड़ लगाते हुए कहा कि उसे अवैध रूप से कब्जाए गए इलाकों में जारी गंभीर मानवाधिकार उल्लंघनों को तुरंत बंद करना चाहिए।

उन्होंने पीओके में पाकिस्तानी सेना के कब्जे, दमन, क्रूरता और प्राकृतिक संसाधनों के अवैध दोहन के खिलाफ जनता के खुले विद्रोह का जिक्र किया। हरीश ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि जम्मू-कश्मीर हमेशा भारत का अभिन्न और अविभाज्य हिस्सा रहा है और रहेगा।

हरीश ने कहा, “हम पाकिस्तान से मांग करते हैं कि वह अवैध रूप से कब्जाए गए इलाकों में जारी गंभीर और निरंतर मानवाधिकार उल्लंघनों को समाप्त करे, जहां जनता पाकिस्तान की सैन्य कब्जे, दमन, क्रूरता और संसाधनों के अवैध शोषण के खिलाफ खुलकर विद्रोह कर रही है।” उन्होंने जोर देकर कहा कि जम्मू-कश्मीर के लोग भारत की लोकतांत्रिक परंपराओं और संवैधानिक ढांचे के अनुसार अपने मौलिक अधिकारों का प्रयोग करते हैं, जो पाकिस्तान के लिए “अजनबी” अवधारणाएं हैं। यह बयान हाल के दिनों में पीओके में बुनियादी मांगों (जैसे बिजली, आटा और कालोनियों पर सब्सिडी) को लेकर हुए बड़े विरोध प्रदर्शनों के संदर्भ में आया, जहां पाकिस्तानी सेना ने बेरहमी से दमन किया और कई लोगों की जानें लीं।

बहस का विषय ‘संयुक्त राष्ट्र संगठन: भविष्य की ओर’ था, जहां हरीश ने संयुक्त राष्ट्र की वैधता, विश्वसनीयता और वर्तमान प्रासंगिकता पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद स्थापित यह संगठन अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा का प्रतीक था, लेकिन अब ग्लोबल साउथ की जरूरतों का प्रभावी जवाब देने के लिए वैश्विक निर्णय लेने वाले ढांचे को अधिक लोकतांत्रिक और समावेशी बनाना होगा।

हरीश ने चेतावनी दी कि अंतरराष्ट्रीय सहयोग को तेजी से सामाजिक सेवा के रूप में देखा जा रहा है, जबकि विकास को सीमित किया जा रहा है। ग्लोबल साउथ के नागरिकों को आवश्यक संसाधनों और तकनीक तक पहुंच घट रही है। उन्होंने जोर दिया कि जो तरीका विकास और समृद्धि को वैश्विक दृष्टिकोण से न देखे, वह न तो टिकाऊ है और न नैतिक रूप से सही। भारत ने ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ की अवधारणा पर जोर देते हुए न्याय, गरिमा, अवसर और समृद्धि के लिए बहुपक्षीयता और अंतरराष्ट्रीय साझेदारी की वकालत की।

यह बयान पीओके में हालिया विरोध प्रदर्शनों के बाद आया है, जहां आर्थिक संकट और सेना के दमन के खिलाफ जनता सड़कों पर उतरी थी। भारत ने हमेशा पीओके को पाकिस्तान के अवैध कब्जे वाला क्षेत्र माना है और संयुक्त राष्ट्र में इसे बार-बार उठाया है। हरीश का यह कड़ा रुख पाकिस्तान के लिए कूटनीतिक झटका है, जो कश्मीर मुद्दे पर भारत को अंतरराष्ट्रीय मंच पर घेरने की कोशिश करता रहा है।

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