स्वतंत्रता दिवस : चंपारण एक ऐसा गांव जहां गांधी ने अहिंसक मोर्चे की नींव रखी

चंपारण, भारत और नेपाल की सीमा से लगा हुआ एक ऐतिहासिक स्थान है। इस स्थान की भारत को स्वतंत्रता दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका रही है। इस स्थान से जुड़े इतिहास के पन्ने बताते हैं कि राष्ट्रीय पिता महात्मा गांधी ने अंग्रेजों के खिलाफ इस स्थान से ही मोर्चा खोला था। यहीं ये ही उन्होंने अहिंसक मोर्चे की नींव रखी थी। आइये आज इस ऐतिहासिक स्थान के बारे में और विस्तार से जानने की कोशिश करते हैं।

चंपारण

क्या था चंपारण आदोंलन ?

चंपारण भारत का पहला किसान आंदोलन और सत्याग्रह (1917-18) था, जिसकी शुरुआत पिता महात्मा गांधी ने की थी। इस समय अंग्रेजों का शासन पूरे जोर पर था। अंग्रेज भारत के किसानों पर अत्याचार कर रहे थे। ज्यादा पैसा कमाने के त्वरित तरीको के रुप में ब्रिटिश अफसरों ने किसानों को नील की खेती करने पर वाध्य किया। अंग्रेज हर दूसरे दिन किसानों को परेशान करने के नए तरीके अपना रहे थे। इस दौरान चंपारण में गांधी जी का आगमन हुआ। उन्होंने अपने भारत को आजाद कराने की मुहीम इसी स्थान से शुरु की। उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ अपनी पहली मशाल जलाई।

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मोतिहारी

पटना से महज 170 किमी की दूरी पर स्थित एक ऐतिहासिक स्थान है वह है मोतीहारी। मोतीहारी, चंपारण के अंदर एक बहुत ही प्रसिद्ध ऐतिहासिक स्थान है। यह पहले समय से ही काफी महत्वपूर्ण माना जाता रहा है। स्वंतत्रता संग्राम के दौरान इस स्थल की अहम भूमिका थी। उन्होंने यहां पर किसानों को जागरूक किया था। यहां पर आप सड़क और रेल दोनों माध्यम से पहुंच सकते हैं।

चंपारण

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सीताकुंड

सीताकुंड गांव बिहार का एक ऐतिहासिक गांव है जो मोतीहार से महज 22 किमी की दूरी पर स्थित है। यह एक ऐतिहासिक गांव है। जो आपने प्राचीन अवशेषों के लिए जाना जाता है। आज यह गांव खंडहर रुप में स्थित है। आप जब चाहें इस गांव की सैर का प्लान बना सकते हैं। इस गांव में एक जलाशय भी है। माना जाता है कि इस जलाशय में माता सीता ने कभी स्नान किया था। इसलिए इस जलाशय में भारी मात्रा में श्रद्धालुओं का आगमन होता है। इतना ही नहीं इस किले के आस-पास और भी मंदिर है जिनके आप दर्शन कर सकते हैं।

 

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