क्या है ये स्लीप पैरालिसिस, कैसे रुकावट बनता है नींद में

बेहतर स्वास्थ्य के लिए पर्याप्त मात्रा में नींद लेना बेहद आवश्यक है। लेकिन इससे भी ज्यादा जरूरी यह है कि वह नींद भी हेल्दी हो। आज की भागती-दौड़ती लाइफस्टाइल में जहां कुछ लोगों को नींद न आने की समस्या का सामना करना पड़ता है। वहीं बहुत से लोग ऐसे भी हैं, जो नींद से जुड़ी कई तरह की बीमारियों से जूझ रहे हैं। ऐसी ही एक स्थिति है स्लीप पैरालिसिस। आमतौर पर लोग इसे बहुत अधिक गंभीरता से नहीं लेते, लेकिन कभी-कभी स्लीप पैरालिसिस कई तरह की परेशानियों का कारण बन जाती है। तो चलिए जानते हैं स्लीप पैरालिसिस और उसकी गंभीरता के बारे में।

स्लीप पैरालिसिस

अलग होता है स्लीप पैरालिसिस

जहां आम पैरालिसिस में मनुष्य के शरीर का कोई अंग हमेशा के लिए निष्क्रिय हो जाता है, वहीं स्लीप पैरालिसिस की अवधि मात्र दो से तीन मिनट की ही होती है। स्लीप पैरालिसिस की स्थिति में व्यक्ति का मस्तिष्क तो जाग जाता है, लेकिन उसका शरीर बिलकुल भी नहीं हिल-डुल पाता। आमतौर पर जब व्यक्ति सोकर जागता है या फिर रात्रि में नींद से उठता है तो उसका पूरा शरीर जड़ हो जाता है। करीबन दो से तीन मिनट के लिए उसके लिए मूवमंेट कर पाना लगभग असंभव हो जाता है।

निश्चित नहीं है कारण

अमूमन लोग यही जानना चाहते हैं कि उन्हें किस कारणवश स्लीप पैरालिसिस हुआ है। डाॅं. बंसल बताते हैं कि स्लीप पैरालिसिस होने का कोई एक कारण निश्चित नहीं है। लेकिन ऐसी बहुत से कारण है, जो इस समस्या को बढ़ावा देने का काम करते हैं। मसलन, अगर किसी के परिवार में किसी को स्लीप पैरालिसिस हो, तो व्यक्ति को स्लीप पैरालिसिस होने की संभावना काफी हद तक बढ़ जाती है। इसके अतिरिक्त अत्यधिक तनाव, बेहद कम सोना या आवश्यकता से बहुत अधिक सोना, गलत पॉजिशन में सोना, नींद का अनियमित समय कुछ ऐसे कारण है, जो व्यक्ति की स्लीप पैरालिसिस की समस्या को कई गुना बढ़ा देते हैं।

क्यों 7 हाथी मिलकर भी नहीं हिला पाए ये गिरता हुआ पत्थर, इसके पीछे है बड़ा रहस्य…

हो सकता है घातक

चूंकि स्लीप पैरालिसिस मात्र दो से तीन मिनट की अवधि का ही होता है, इसलिए अक्सर लोग इस ओर ज्यादा ध्यान नहीं देते। हालांकि यह जानलेवा नहीं होता लेकिन कभी-कभी व्यक्ति को इसके कई बार गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। डाॅ़ बंसल के अनुसार, जिन व्यक्ति को स्लीप पैरालिसिस की शिकायत होती है, उन्हंे अन्य नार्कोलेप्सी या स्लीप संबंधी बीमारियां जैसे हिप्नोगोगिक हैलुसिनेशन, कैटाप्लेक्सी जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं। इसके अतिरिक्त ऐसे व्यक्ति को अन्य कई तरह की परेशानियां जैसे व्यवहार में बदलाव, चिड़चिड़ापन, खडे़-खडे़ गिर जाना आदि भी हो सकती है।

ऐसे लगाएं पता

स्लीप पैरालिसिस का पता लगाने के लिए सबसे पहले किसी विशेषज्ञ द्वारा व्यक्ति की स्लीप स्टडी की जाती है। इसके अतिरिक्त व्यक्ति का चिकित्सीय इतिहास जांचा जाता है। वहीं पोलिसोम्नोग्राफी नामक एक टेस्ट द्वारा स्लीप पैरालिसिस का पता लगाया जा सकता है।

क्यों 7 हाथी मिलकर भी नहीं हिला पाए ये गिरता हुआ पत्थर, इसके पीछे है बड़ा रहस्य…

निदान है जरूरी

स्लीप पैरालिसिस के बारे पता लग जाने पर मेडिकेशन शुरू कर देना चाहिए। इसके अतिरिक्त दवाईयों को अतिरिक्त प्रभावी बनाने के लिए जरूरी है कि व्यक्ति अपने स्लीप हाईजीन पर भी ध्यान दें। मसलन, किसी आरामदायक स्थान पर सही स्थिति में सोना, रोजाना नियत समय पर सोना, दैनिक जीवन में ज्यादा से ज्यादा खुश रहना, सही मात्रा में नींद लेना, सोने से पहले कैफीन का सेवन न करना, कुछ ऐसी आदतें हैं, जिन्हें जीवन में शुमार करके स्लीप पैरालिसिस का निदान काफी हद तक किया जा सकता है।

 

LIVE TV