सोशल मीडिया पर खूब खतरनाक है ये वायरल टास्क, कहीं आपकी प्राइवेसी तो नहीं है ताक पे
सोशल मीडिया पर इनदिनों एक नया ट्रेंड चलन में है। यूजर्स अपनी इस साल की और दस साल पुरानी तस्वीर पोस्ट कर रहे हैं और उसके बाद खूब लाइक बटोर रहे हैं। खुश हो रहे हैं। लेकिन, क्या आपने कभी सोचा है कि फेसबुक पर लव और स्माईली में मिलने वाली यह खुशी किसी न किसी रूप में खतरनाक भी हो सकती है।अगर अभी तक आपके दिमाग में यह ख्याल नहीं आया तो आ जाना चाहिए! दरअसल, हम जब सोशल मीडिया पर होते हैं तो यह क्यों भूल जाते हैं कि यह हमारा वह घर है जिसकी चाभी हर किसी के पास है, चाहे हम दें या न दें।
क्या यह चैलेंज आपकी प्राइवेसी के लिए खतरा है?
इस चैलेंज को लेकर इस वक्त जो बहस चल रही है वह यह है कि क्या यह यूजर्स की प्राइवेसी के लिए खतरा है। कहीं इसके जरिए फेसबुक, यूजर्स की निजता को दांव पर तो नहीं लगा रहा। अब आप यह कह सकते हैं कि मेमे से किसी की प्राइवेसी को क्या खतरा हो सकता है। यह तो एक तरह का हंसी-मजाक वाला चैलेंज है। दरअसल, ये सवाल इसलिए उठ रहे हैं कि लंबे वक्त से फेसबुक यूजर्स की प्राइवेसी पॉलिसी को लेकर आलोचना झेल रहा है। कैंब्रिज एनालिटिका हो या फिर अमेजन, नेटफ्लिक्स और दूसरे ओवर द टॉप प्लेटफॉर्म से यूजर्स के डाटा को लेकर साझेदारी, फेसबुक हर मामले में संदिग्ध रहा है। कहीं ऐसा तो नहीं है कि इस चैलेंज से इकट्ठा होने वाला डाटा का इस्तेमाल कंपनियां अपने फायदे के लिए करें, यानी लोगों की उम्र बढ़ने के साथ उनके चेहरे पर किस तरह के बदलाव आते हैं, आपके डाटा का इस्तेमाल इसे समझने के लिए करें।
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क्या यह ट्रेंड फेसबुक ने सेट किया है?
क्या यह ट्रेंड फेसबुक ने सेट किया है यह जानने से पहले यह जान लीजिए कि फेसबुक चेहरे की पहचान तकनीक (फेशियल रिकिग्निशन टेक्नोलॉजी) के गोपनीय पहलू को लेकर आलोचना झेल चुका है। और हम जो इन दिनों- ’10 साल पहले मैं ऐसा दिखता था, अब ऐसा दिखता हूं‘, गेम खेल रहे हैं यह एक तरह से फेशियल रिकिग्निशन टेक्नोलॉजी का ही मामला है।
हमें इस बात को ध्यान रखना चाहिए कि हम जो कुछ भी फेसबुक पर शेयर करते हैं, वो डाटा है। हमें अपने डाटा को लेकर सतर्क रहना चाहिए, क्योंकि यह युग डाटा का है और इसके जरिए कोई भी युद्ध लड़ा जा सकता है। ऐसे में हमें अपने डाटा की क्षमता को पहचाना चाहिए। फेसबुक का कहना है कि उसके प्लेटफॉर्म पर वायरल होने वाले मेमे यूजर जनरेटिड है। फेसबुक ने यह ट्रेंड सेट नहीं किया है। फोटो के तौर पर जिन मेमे का इस्तेमाल किया जा रहा है वो पहले से ही फेसबुक पर मौजूद हैं। फेसबुक को इन मेमे से कोई फायदा नहीं होने वाला और न ही इनके जरिए फेसबुक कोई फायदा उठा रहा है।
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सवाल उठने के बाद फेसबुक ने इस ट्रेंड को लेकर यह सफाई दी है। फेसबुक पर चल रहा यह ट्रेंड क्या हानिकार हो सकता है इसे लेकर सबसे पहले लेखिका केटे ओ नील ने सवाल उठाया। केटे ओ नील ने टेक ह्यूमनिस्ट किताब लिखी है। उन्होंने एक अंग्रेजी टेक्नोलॉजी वेबसाइट पर इसे लेकर एक आर्टिकल लिखा है। इसके बाद फेसबुक ने कहा कि उसका इस चैलेंज से कोई लेना देना नहीं है। यह ट्रेंड उसने सेट नहीं किया है। फेसबुक यूजर्स चाहें तो खुद ही इस चैलेंज को कभी भी बंद कर सकते हैं।
दरअसल, फेसबुक पर आप जिसे चैलेंज समझ रहे हैं यह एक तरह चेहरे को पहचाने की तकनीक है। गुमशुदा बच्चों और किसी आतंकी का पता लगाने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है।