Axiom-4: चौथी बार टला प्रक्षेपण, फाल्कन-9 रॉकेट में ऑक्सीजन रिसाव, नई तारीख का इंतजार

भारतीय अंतरिक्ष यात्री ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला और तीन अन्य अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) ले जाने वाले एग्जियोम-4 मिशन का प्रक्षेपण एक बार फिर स्थगित हो गया है। स्पेसएक्स ने बुधवार को घोषणा की कि फाल्कन-9 रॉकेट में लिक्विड ऑक्सीजन (एलओएक्स) रिसाव की समस्या के कारण प्रक्षेपण को टाल दिया गया है। यह रिसाव लॉन्च पैड पर सात सेकंड के हॉट टेस्ट के दौरान प्रणोदन खंड (प्रोपल्शन बे) में पाया गया।

स्पेसएक्स ने अपने बयान में कहा, “11 जून को होने वाले फाल्कन-9 के एक्स-4 प्रक्षेपण को स्थगित किया जा रहा है ताकि पोस्ट स्टैटिक फायर बूस्टर निरीक्षण के दौरान पाए गए एलओएक्स रिसाव की मरम्मत के लिए अतिरिक्त समय मिल सके। मरम्मत पूरी होने और रेंज उपलब्धता के आधार पर नई लॉन्च तारीख जल्द घोषित की जाएगी।”

चौथी बार टला मिशन
यह चौथा अवसर है जब एग्जियोम-4 मिशन को स्थगित किया गया है। शुरू में यह मिशन 29 मई 2025 को निर्धारित था, जिसे बाद में 8 जून, फिर 10 जून और अंततः 11 जून 2025 को 5:30 बजे (भारतीय समयानुसार) के लिए पुनर्निर्धारित किया गया था। 10 जून से पहले 9 जून को भी खराब मौसम के कारण मिशन को एक दिन के लिए टाला गया था। इसरो ने तब कहा था, “मौसम की प्रतिकूल परिस्थितियों के कारण एग्जियोम-4 मिशन का प्रक्षेपण 10 जून से 11 जून तक स्थगित किया गया है।”

इसरो अध्यक्ष वी. नारायणन ने बताया कि इसरो, स्पेसएक्स और एग्जियोम स्पेस के विशेषज्ञों के साथ चर्चा के बाद रिसाव को ठीक करने और आवश्यक सत्यापन परीक्षण करने का निर्णय लिया गया है। इसरो ने अपने बयान में कहा, “लॉन्च से पहले फाल्कन-9 के बूस्टर चरण के प्रदर्शन को मान्य करने के लिए सात सेकंड का हॉट टेस्ट किया गया, जिसमें प्रणोदन खंड में एलओएक्स रिसाव पाया गया।”

ऐतिहासिक मिशन और शुभांशु शुक्ला
एग्जियोम-4 मिशन भारत के लिए एक ऐतिहासिक कदम है। भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला इस मिशन के पायलट हैं और अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) पहुंचने वाले पहले भारतीय बनेंगे। वह राकेश शर्मा के बाद (1984 में सोवियत रूस के सोयुज अंतरिक्ष यान से अंतरिक्ष यात्रा) अंतरिक्ष में जाने वाले दूसरे भारतीय होंगे।

यह मिशन नासा, एग्जियोम स्पेस, स्पेसएक्स और इसरो के सहयोग से संचालित है। मिशन में चार अंतरिक्ष यात्री शामिल हैं: मिशन कमांडर पैगी व्हिटसन (अमेरिका), पायलट शुभांशु शुक्ला (भारत), स्लावोज उज़्नान्स्की-विस्निव्स्की (पोलैंड), और टिबोर कपु (हंगरी)। यह मिशन भारत, पोलैंड और हंगरी के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह इन देशों का 40 वर्षों में दूसरा मानव अंतरिक्ष मिशन है।

मिशन का उद्देश्य
14 दिनों के इस मिशन के दौरान, शुभांशु शुक्ला सात वैज्ञानिक प्रयोग करेंगे, जिनमें माइक्रोग्रैविटी में मेथी और मूंग अंकुरण, माइक्रोएल्गी और सायनोबैक्टीरिया की वृद्धि, मांसपेशी पुनर्जनन, और टार्डिग्रेड्स की लचीलापन जैसे प्रयोग शामिल हैं। ये प्रयोग भारत के गगनयान मिशन और भविष्य के अंतरिक्ष अनुसंधान के लिए महत्वपूर्ण हैं।

शुक्ला ने कहा, “मैं केवल तकनीकी उपकरण नहीं, बल्कि 1.7 अरब भारतीयों की आकांक्षाएं और सपने साथ ले जा रहा हूँ। मैं राष्ट्रीय डिज़ाइन संस्थान द्वारा डिज़ाइन की गई कलाकृतियाँ भी ले जा रहा हूँ, जो भारत की रचनात्मकता और नवाचार का प्रतीक हैं।”

वर्तमान स्थिति
वर्तमान में, स्पेसएक्स की टीमें रिसाव की मरम्मत और सत्यापन परीक्षणों पर काम कर रही हैं। इसरो ने जोर देकर कहा कि अंतरिक्ष यात्री सुरक्षा के लिए कठोर जाँच आवश्यक है। नई लॉन्च तारीख की घोषणा मरम्मत पूरी होने और लॉन्च रेंज की उपलब्धता पर निर्भर करेगी। इस मिशन को लेकर भारत में उत्साह है, और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे “विकसित भारत के लिए एक मील का पत्थर” बताया है।

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