
नई दिल्ली। चीन-भारत सीमा पर लगातार बढ़ते गतिरोध के लिए चीनी मीडिया भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल को जिम्मेदार ठहरा रही है। उन्होंने डोभाल को सीमा पर होने वाले विवाद का ‘मुख्य योजनाकार’ बताया है। बता दें सीमा पर बढ़ती तनातनी के निपटारे के लिए डोभाल 27 जुलाई को दो दिन के दौरे पर चीन रवाना होंगे। यहां वे ब्रिक्स देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की बैठक में भाग लेंगे। चीन का मानना है कि सीमा पर जारी गतिरोध में डोभाल मेन किरदार है। उनके यहां आने से सीमा विवाद पर चीन को समस्या का हल निकलने की उम्मीद है।
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बता दें चीन में मीडिया आजाद नहीं हैं। मीडिया पर सरकार का पूरी तरह नियंत्रण है। जून पहले हफ्ते से चीन द्वारा भूटान के डोकलाम में सड़क निर्माण के प्रयास को लेकर शुरू हुए विवाद के दरम्यान चीनी मीडिया में भारत के खिलाफ लगातार भडकाऊ बयान छप रहे हैं। चीनी मीडिया बार-बार भारत को युद्ध की धमकी दे रहा है।
मंगलवार को भी ग्लोबल टाइम्स ने अपने संपादकीय में लिखा कि “भारत किसी भ्रम में न रहे।” सोमवार (24 जुलाई) को चीनी रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा था कि चीन की सेना को हिलाना पहाड़ को हिलाने से भी मुश्किल है।
चीनी रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि अगर डोकलाम में भारतीय सैनिक पीछे नहीं हटे तो चीनी सेना को आगे बढ़ने का फैसला लेना पड़ेगा।
वहीं चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने मंगलवार को कहा कि सीमा पर हालिया विवाद के लिए भारत जिम्मेदार है और उन्होंने भारतीय सैनिकों से डोकलाम खाली करने को कहा। डोकलाम पर चीन अपना दावा करता है।
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ऐसा पहली बार है, जब चीन सरकार के किसी शीर्ष अधिकारी ने सिक्किम सेक्टर में सीमा विवाद पर प्रतिक्रिया जताई है, जहां दोनों देशों की सेनाओं के बीच पिछले एक महीने से अधिक अवधि से गतिरोध बना हुआ है।
वांग ने कहा, “सही और गलत क्या है, यह पूरी तरह स्पष्ट हो चुका है और यहां तक कि वरिष्ठ भारतीय अधिकारियों ने खुले तौर पर कहा है कि चीनी सैनिकों ने भारतीय सीमा में प्रवेश नहीं किया। इस तरह भारत ने स्वीकार कर लिया है कि वह चीनी क्षेत्र में घुसा।”
उन्होंने एक बयान में कहा, “इसका समाधान बेहद आसान है। भारत को ईमानदारी पूर्वक अपने सैनिकों को वापस बुला लेना चाहिए।”
हालांकि चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय बातचीत की संभावना को बरकरार रखा।
चीन दौरे में डोभाल चीनी एनएसए यांग जीची से मिलेंगे। इससे पहले चीन ने कहा था कि “जब तक भारत डोकलाम में अपने सैनिक पीछे नहीं हटाएगा तब तक दोनों देशों के बीच सार्थक बातचीत संभव नहीं है।”
वहीं भारतीय विदेश मंत्री ने संसद में दिए बयान में कहा है कि चीन और भारत दोनों को एक साथ डोकलाम से अपनी सेनाएं हटानी चाहिए।
चीनी मीडिया इससे पहले भारत को 1962 के युद्ध का सबक याद रखने के लिए कहा था। जिस पर भारतीय रक्षा मंत्री अरुण जेटली ने कहा था कि भारत अब 1962 वाला देश नहीं है।
डोकलाम में तीन देशों (भारत, तिब्बत और भूटान) की सीमाएं मिलती हैं। चीन डोकलाम को अपना डोंगलॉन्ग इलाका बताता है।
चीन इस इलाके में भारी सैन्य वाहनों के आवागमन लायक सड़क बनाना चाहता है। भारत का कहना है कि दोनों देशों के बीच इस इलाके में यथास्थिति बनाए रखने पर पहले ही सहमति बन चुकी है और चीन के सड़क निर्माण से ये स्थिति बदल जाएगी।
इस मामले में भारत का मत भी साफ है। भारतीय सेना भी तभी अपने कदम खीचने को तैयार होगी जब चीनी सेना अपने कदम डोकलम से वापस लेने के पक्ष में होगी।
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