सिद्धू और कैप्टन अमरिंदर का विवाद राहुल के लिए बना परेशानी का कारण, कब सुलझेगा मामला ?

पंजाब में मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू के बीच विवाद सुलझता नजर नहीं आ रहा है. दोनों नेताओं के बीच समझौते के लिए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने अहमद पटेल को नियुक्त किया है.

लेकिन मामला अभी भी जस का तस बना हुआ है. कैप्टन अमरिंदर एक तरफ सिद्धू का विभाग बदले जाने के अपने फैसले पर पुनर्विचार करने के मूड में नहीं है.

वहीं सिद्धू ने 25 दिन बाद भी नया विभाग नहीं संभाला है. यही वजह है कि राहुल गांधी के लिए सिद्धू सिरदर्द बने हुए हैं. ऐसे में देखना है कि इस उलझे हुए मामले को वे कैसे निपटाते हैं?

राहुल गांधी ने सोमवार को कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक बुला ली है. इस बैठक के तमाम कांग्रेस के सीएम के साथ-साथ पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह भी शामिल होंगे.

इस बैठक का एजेंडा भले ही राष्ट्रीय राजनीति को लेकर हो लेकिन अमरिंदर और सिद्धू के बीच विवाद के मुद्दे पर भी बात हो सकती है.

 

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नवजोत सिंह सिद्धू को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने पंजाब विधानसभा चुनाव से ऐन पहले कैप्टन अमरिंदर की मर्जी के बगैर पार्टी में एंट्री कराई थी.

सिद्धू को राहुल गांधी ने आम आदमी पार्टी के दहलीज से लाए थे. अब जब सिद्धू को लेकर कैप्टन अमरिंदर ने बगवाती रुख अख्तियार कर लिया है तो राहुल के लिए यह मुसीबत बन गई है.

दरअसल, लोकसभा चुनाव में टिकट न मिलने पर सिद्धू की पत्नी नवजोत कौर सिद्धू ने अमरिंदर के खिलाफ नाराजगी जताई थी. उन्होंने आरोप लगाया था कि उन्हें मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह की वजह से अमृतसर से लोकसभा का टिकट नहीं मिला. सिद्धू ने भी पत्नी का समर्थन किया था. हालांकि अमरिंदर ने इन आरोपों से इनकार कर दिया था.

इसके बाद जून के पहले हफ्ते में कैप्टन अमरिंदर ने सिद्धू का मंत्रालय बदल दिया. सिद्धू को पर्यटन और शहरी विकास मंत्रालय से हटाकर ऊर्जा और नवीन-नवकरणीय मंत्रालय दिया गया है. मंत्रालय बदलने जाने से सिद्धू नाराज हो गए और अभी तक उन्होंने नए मंत्रालय कार्यभार नहीं संभाला है.

कैप्टन अमरिंदर और सिद्धू के बीच विवाद सुलझाने के लिए राहुल गांधी ने पार्टी के दिग्गज नेता अहमद पटेल को नियुक्त है. अहमद पटेल और कैप्टन अमरिंदर के बीच शनिवार को बैठक हुई.

माना जा रहा है कि कैप्टन ने पटेल को स्पष्ट कर दिया है कि वे सिद्धू का विभाग बदले जाने के अपने फैसले पर पुनर्विचार करने का कोई इरादा नहीं रखते.

सूत्रों की मानें तो राहुल गांधी भी यह साफ कर चुके हैं कि कैप्टन को अपनी सरकार मर्जी से चलाने का अधिकार है और मंत्रिमंडल में फेरबदल का भी उन्हें विशेषाधिकार है. ऐसे में सिद्धू के सामने अब दो ही रास्ते बचे हैं कि या तो वे नए विभाग का कार्यभार संभाल लें या मंत्री पद छोड़ दें.

लेकिन सिद्धू भी कांग्रेस नेतृत्व को साधने में जुटे हैं. इसीलिए विभाग बदले जाने के चार दिन बाद ही उन्होंने प्रियंका गांधी से मुलाकात की थी.

लोकसभा चुनाव परिणाम आने के बाद राहुल और कैप्टन की यह पहली मुलाकात होगी. यह बैठक ऐसे समय में हो रही है, जब सिद्धू और कैप्टन अमरिंदर सिंह का विवाद जग जाहिर हो गया है.

हालांकि सिद्धू की शिकायत के बावजूद राहुल ने इस मामले में कैप्टन से कोई बात नहीं की है. माना जा रहा है कि सोमवार को होने वाली बैठक में राहुल के रुख से काफी कुछ स्पष्ट हो जाएगा.

 

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