सिख विरोधी दंगों की जांच के लिए बनाई गई नई रणनीति, अब इस तरह होगी जांच

नई दिल्ली। सर्वोच्च न्यायालय ने दिल्ली उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश एस.एन. ढींगरा की अगुवाई में दो सदस्यीय विशेष जांच दल को मंजूरी दे दी, जो सिख विरोधी दंगों 186 ‘बंद’ मामलों की जांच करेगा। एसआईटी के अन्य सदस्य भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के अधिकारी अभिषेक दुलार हैं।

न्यायमूर्ति मदन बी. लोकुर की अगुवाई वाली खंडपीठ ने आईपीएस अधिकारी राजदीप सिंह द्वारा एसआईटी में होने को लेकर व्यक्तिगत कठिनाइयां जताए जाने के बाद शीर्ष अदालत के 11 जनवरी के आदेश को संशोधित करते हुए दो सदस्यीय समिति को मंजूरी दी।

इससे पहले, एक तीन सदस्यीय एसआईटी थी, जिसमें न्यायमूर्ति ढींगरा और दो आईपीएस अधिकारी दुलार और सिंह शामिल थे।

तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए.एम. खानविलर और न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ की एक पीठ ने तीन सदस्यीय एसआईटी गठित की थी।

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पर्यवेक्षी समिति की एक रिपोर्ट के बाद एसआईटी की स्थापना की गई थी, जिसमें कहा गया था कि एसआईटी द्वारा पहले जिन 241 मामलों को बंद कर दिया गया था, उनमें से 186 को बगैर आगे की जांच किए ही बंद कर दिया गया था।

इन 241 मामलों की पर्यवेक्षी समिति ने छानबीन की थी, जिसमें सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश जे.एम. पांचाल और के.एस. राधाकृष्णन शामिल थे।

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राष्ट्रीय राजधानी में 31 अक्टूबर, 1984 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की सिख सुरक्षा गाडरें द्वारा हत्या कर देने के बाद दिल्ली और देश भर में हुए दंगों में लगभग 3,000 सिखों की मौत हो गई थी।

आधिकारिक आंकड़ों में करीब 2,800 सिखों के मारे जाने की बात कही गई है।

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