सारा पायलट ने बातों बातों में कह दी ये बड़ी बात, जो हर महिला के लिए जानना जरूरी

नई दिल्ली| जम्मू एवं कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला की बेटी और कांग्रेस नेता सचिन पायलट की पत्नी सारा पायलट ने राजनीति से दूर रहकर अपनी एक अलग और सशक्त पहचान बनाई है। योग प्रशिक्षक रह चुकीं सारा समाजसेवा में ज्यादा सक्रिय रहती हैं। वह महिलाओं का आत्मनिर्भर बनना बेहद जरूरी मानती हैं।
सारा पायलट
सारा चाहती हैं महिलाओं की आजादी और इतनी छूट कि वे जो करना चाहती हैं, सब कर सकें। खास बात यह कि राजनीतिक परिवार की सारा ने आईएएनएस के साथ खास बातचीत में राजनीति पर बात करने में रुचि नहीं दिखाई। वह कश्मीर और कश्मीरी शिल्प से काफी लगाव रखती हैं।

आप समाजसेवा और घर-परिवार में संतुलन कैसे बनाती हैं? इस सवाल उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि आजकल के समय में हर महिला अपने घर और काम में संतुलन बना रही है और यह बहुत जरूरी भी है। महिलाओं का आत्मनिर्भर होना बहुत जरूरी है। महिलाओं को आजादी मिलनी चाहिए, ताकि वे वह सब कर सकें, जो करना चाहती हैं।”

सारा ने अगले ही पल कहा, “महिलाओं के लिए अपने बच्चों को संभालना बहुत जरूरी है, क्योंकि वह भावी पीढ़ी हैं। लेकिन ईश्वर ने हमें जो ज्ञान और प्रतिभा दी है, उसका भी इस्तेमाल करना..उसे भी साझा करना चाहिए। केवल परिवार तक सीमित रहने से आप दुनिया को नहीं समझ सकते, इसके लिए बाहर निकलना पड़ता है।”

सारा महिला सशक्तीकरण से जुड़े मुद्दों के काम करती हैं। वह कई समाजसेवी संगठनों का भी हिस्सा हैं। महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने की बात पर जोर देते हुए सारा कहती हैं, “आजकल के दौर में महिला को किसी पर निर्भर नहीं होना चाहिए। उन्हें आर्थिक तौर पर सशक्त होना चाहिए। खास बात यह है कि जब आपका परिवार आपको घर और काम में संतुलन बनाते हुए देखता है..आपकी प्रतिभा और लगन को देखता है तो वह भी धीरे-धीरे आपका समर्थन करने लगता है। इसलिए आज के समय में हर महिला को आत्मनिर्भर बनना चाहिए और इसके लिए उसे खुद पहल करनी पड़ेगी।”

वह कहती हैं, “महिलाएं सिर्फ घर या बच्चों का हवाला नहीं दे सकतीं। उदाहरण के लिए पुरुष भी अगर ऐसा सोचने लगे कि अगर मैं ऑफिस जाऊंगा तो खाना टेबल पर कैसे आएगा तो फिर काम कैसे चलेगा..वह यह सब नहीं सोचते हैं तो महिलाएं क्यूं सोचें। महिलाओं को चाहिए कि वह अपने घरदारी के साथ-साथ अपनी प्रतिभा को भी निखारें और उसे दुनिया में पहचान दिलाएं।”

हाल ही में सारा ने नई दिल्ली में पश्मीना शॉलों की एक प्रदर्शनी का हिस्सा बनीं। उन्होंने कहा, “मैं यहां एक क्यूरेटर की भूमिका में हूं। मैंने वरुणा आनंद के पशमीना शॉलों के संकलन को देखा और मुझे लगा कि मैं इसका हिस्सा बन सकती हूं। मैंने बचपन में ऐसी शॉलें खूब देखी हैं, मगर आजकल ऐसी शॉलें बमुश्किल ही मिलती हैं। इन कारीगरों ने बहुत सुंदर शॉलें बनाई हैं। ये शॉलें कपड़े और डिजाइन के मामले में काफी अलग होती हैं।”

उन्होंने कहा, “मैंने और इस संस्था से जुड़े लोगों ने महसूस किया कि कश्मीर और कश्मीरी कारीगरों में अभी भी वह प्रतिभा है, जिसे हमें बाहर निकालना है। हम यह सोच रहे थे कि इसे कैसे देश के अन्य हिस्सों तक इसे पहुंचाएं। आखिर में मैंने इसके एक संकलन के क्यूरेटर की भूमिका निभाने का फैसला किया।”

चूंकि सारा खुद कश्मीर से हैं, ऐसे में उन्होंने इन शॉलों से जुड़ी विधि और कारीगरों के काम को काफी करीब से देखा है। पश्मीना से जुड़े अपने अनुभव साझा करते हुए वह कहती हैं, “इन शॉलों को कारीगर बहुत मेहनत और लंबे वक्त में बना पाते हैं।

इनमें उनकी मेहनत और हुनर झलकती है। आजकल पूरे देश में पश्मीना के नाम पर कई तरह की दूसरी शॉलें भी बेची जाती हैं, लेकिन असल में वह चीन में बनीं मशीनों की होती हैं और हमारे देश में हमारे ही पश्मीना के नाम से बेची जाती हैं।

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पश्मीना के बारे में जिन लोगों को नहीं पता है, उनके लिए इसकी पहचान करना मुश्किल होता है। असल पश्मीना पूरी तरह प्राकृतिक होता है। इसमें किसी भी तरह की मिलावट नहीं होती।”
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आप एक बड़े राजनीतिक परिवार की बेटी और बहू हैं। अगले विधानसभा और लोकसभा चुनावों में क्या आप किसी तरह की भूमिका में नजर आएंगी? इस सवाल पर सारा मुस्कुराते हुए कहती हैं, “अभी तो मैं अपने काम में बहुत व्यस्त हूं। मेरे परिवार के लोग अपना काम कर रहे हैं और मैं अपना काम कर रही हूं। हम सभी अपने-अपने काम में व्यस्त हैं और बहुत खुश हैं।”

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