साइबर क्राइम ने तोड़ डाले सारे रिकॉर्ड, आखिर कैसे थमेगी इसकी रफ़्तार?

रिपोर्ट- उमेश मिश्रा

लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के हजरतगंज कोतवाली में स्थित साईबर क्राईम सेल ‘आईएसओ सर्टिफाइड’ है।

साईबर क्राइम

मध्य और पूर्वी यूपी के 46 जिलों के करोड़ों लोगों की मदद करने वाला यह सेल अब तक कई हाईटेक अपराधियों को गिरफ्तार कर सलाखों के पीछे पहुंचा चुका है।

यूपी बीते छह साल से अव्वल बना हुआ है। जहां वर्ष 2016 में प्रदेश भर में साइबर क्राइम के 2408 मामले दर्ज थे।

वहीं 2017 में यह आंकड़ा 3793 तक जा पहुंचा। जबकि 2018 के शुरूआती आठ महीनों में साइबर क्राइम के मामलों की संख्या 4856 तक जा पहुंची है।

यहां यह बताना जरूरी है कि साइबर क्राइम में सर्वाधिक मामले ऑनलाइन ठगी के हैं। जिन्हें प्रदेश के बाहर से अंजाम दिया गया है।

इनमें एटीएम कार्ड का पासवर्ड पूछकर मनी ट्रांसफर या फिर ऑनलाइन शॉपिंग जैसे अपराध हैं। इन अपराधों की जांच भी लंबे समय तक पेंडिंग रहती है। क्योंकि प्रदेश में सिर्फ दो साइबर थाने एक लखनऊ और एक नोएडा में हैं।

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इसके अलावा दो साइबर क्राइम सेल लखनऊ व आगरा में हैं। हाल ही में डीजीपी ओपी सिंह ने प्रदेश के सभी जिलों में साइबर क्राइम सेल खोलने का आदेश दिया।

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हालांकि, इसमें अभी लंबा वक्त लगने की संभावना है। सीमित संसाधन और दूसरे प्रदेश व विदेश में बैठे अपराधियों द्वारा इन घटनाओं को अंजाम देने की जानकारी होने के बावजूद इन तक पहुंचना पुलिसकर्मियों के लिये टेढ़ी खीर साबित हो रहा है।

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