सवर्णों के बाद इस ख़ास वर्ग को साधने की तैयारी में मोदी सरकार!

नई दिल्ली। लोकसभा चुनावों की आहट जैसे-जैसे बढ़ रही है राजनीतिक पार्टियों में हलचल तेज होने लगी है। केंद्र की मोदी सरकार सभी वर्गों को साधने में जुड़ी हुई है।

पीएम मोदी

इस कड़ी में उन्होंने समान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को 10 फीसदी आरक्षण देने के बाद अब ओबीसी वर्ग को टार्गेट किया है। बताया जा रहा है कि जल्द ही वे इस वर्ग विशेष को भी बड़ी सौगात दे सकते हैं। दरअसल केंद्र सरकार ओबीसी कोटा में नए सिरे से जातियों की हिस्सेदारी तय करने की योजना बना रही है।

बताया जा रहा है कि सरकार लोकसभा चुनाव से पहले ओबीसी कमिशन की रिपोर्ट को तैयार करने के साथ ही इसे पेश करने की तैयारी में है।

खबर है कि इस बाबत सभी मंत्रालयों से उनके यहां काम करने वाले ओबीसी कर्मचारियों की संख्या उनके जाति अनुसार मुहैया कराने के लिए कहा गया है।

खबरों के मुताबिक़ बताया जा रहा है कि सरकार अपने आखिरी सत्र में ओबीसी कमिशन की रिपोर्ट पेश कर सकती है।

गौरतलब है कि 31 जनवरी से संसद का बजट सत्र शुरू होने जा रहा है। यह सत्र 13 फरवरी तक चलेगा।

इस दौरान मोदी सरकार कमिशन की सिफारिश के आधार पर ओबीसी जातियों के उनकी सामाजिक और आर्थिक स्थिति के आधार पर हिस्सेदार तय करेगी। इसका उद्देश्य छोटी-छोटी ओबीसी जातियों को भी बराबर का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करना बताया जा रहा है।

बता दें ओबीसी में शामिल कुछ जातियों की आर्थिक और सामाजिक स्थितियों को लेकर लंबे अर्से से विवाद रहा है। वहीं, इस संदर्भ में एनडीए के सहयोगी दल भी अक्सर आवाज उठाते रहे हैं। उत्तर प्रदेश में बीजेपी के सहयोगी और कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश राजभर लगातार इस मालले पर दबाव बनाते रहे हैं। उन्होंने बीजेपी को ओबीसी में नए सिरे से जातियों का वर्गीकरण करने के लिए 100 दिन का अल्टिमेटम दिया है।

राजभर का कहना है कि उनकी कोई निजी मांग नहीं है। पिछड़ी जातियों के 27 फिसदी आरक्षण में बंटवारे की सिफारिश वाली रिपोर्ट मुख्यमंत्री के पास पड़ी है।

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रिपोर्ट के मुताबिक पिछड़ा, अति पिछड़ा और सर्वाधिक पिछड़ा के आधार पर आरक्षण आवंटित करने की बात है।

इससे पहले केंद्र सरकार ने ओबीसी कमीशन से जुड़ी जांच रिपोर्ट को तैयार करने लिए 6 महीने का विस्तार दिया था। इसके लिए 31 मई 2019 तक विस्तार की मंजूरी मिल गई थी। लेकिन, अगड़ी जातियों के कमजोर लोगों को 10 फीसदी आरक्षण देने के बाद सरकार अब ओबीसी को भी तुरंत साधने की जुगत में है। लिहाजा, माना जा रहा है कि ओबीसी का नए सिरे से वर्गीकरण सवर्णों को दिए गए आरक्षण का काउंटर है।

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