सरकारी दावों से अलग है जमीनी हकीकत, जानिए क्यों बस्ती के अन्नदाताओं को सता रहा कम पैदावार का डर

बस्ती जिले में रवि की फसल बुवाई करने के लिए किसानों को डाया खाद नहीं मिल पा रही है जिससे किसान काफी परेशान हैं। समितियों पर सिर्फ यूरिया खाद ही उपलब्ध है। किसानों ने सीधा आरोप लगाते हुए कहा कि डाया खाद न मिलने के कारण हम लोगों की फसलें बुवाई नहीं हो पा रही है। समय पर गेहूं की फसल बुवाई ना होने पर पैदावार कम होता है।

जहां प्रदेश सरकार दावा करती है कि किसानों की आय दोगुनी हो रही है। समय पर किसानों को खाद बीज सहित अन्य उपकरण भी कृषि प्रयोग में उपलब्ध कराए जा रहे हैं। लेकिन बस्ती जिले में कृषि अधिकारियों की लापरवाही के कारण किसानों के रवि की फसल बुवाई में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। उनको डीएपी खाद नहीं मिल पा रहे जिससे किसान गेहूं की फसल बोने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है खेतों में डीएपी खाद नहीं पढ़ पा रही है जिससे किसानों का कहना है पैदावार नहीं हो पाएगी। वही किसानों ने सीधा आरोप लगाते हुए सरकार पर कहा कि बस्ती जिले में किसी समिति पर डीएपी खाद नहीं है। हम लोग सुबह उठकर प्रतिदिन समित पर आते हैं कि रात में खाद आई होगी लेकिन खाद न मिलने से मजबूरन हम लोग यूरिया और पोटाश मिलाकर खेतों में बुवाई के उनका कर रहे हैं। यूरिया और पोटाश मिलाकर कर बोने से खेतों में पैदावार कम होती है, जहां एक तरफ सरकार दावा करती है कि किसानों को समय से खाद और बीज मिल रही है लेकिन बस्ती जिले में डीएपी खाद ना होने से सरकार का दावा की पोल खोल रही है।

वही इस संबंध में जिला अधिकारी बस्ती प्रियंका निरंजन ने बताया हमने कई बार शासन को पत्र भेजकर दो रैक डीएपी खाद मंगाने के लिए लिखा गया है और अधिकारियों से लखनऊ बात भी हुई है जल्द ही खाद डीएपी उपलब्ध हो जाएगी जिले में किसानों की समस्या खत्म हो जाएगी। लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह सामने उठ कर आ रहा है कि जब गेहूं की फसल की बुवाई खत्म हो जाएगी तब डीएपी खाद बस्ती जिले में आएगी तो शायद इस खाद आने से किसानों को कोई लाभ नहीं मिल पाएगा।

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