आप कितने शीघ्र सफल होना चाहते है?

श्री श्री रविशंकर जी सफल होने का मंत्र बताते हुए कहते हैं “जब से सृष्टि की रचना हुई उसमें कभी भी कोई तुम्हारे जैसा नहीं हुआ है। और आने वाले अनंत समय में भी कोई तुम्हारे जैसा नहीं होगा. तुम मौलिक हो, विरले हो, अद्वितीय हो, अपनी अद्वितीयता का उत्सव मनाओ।”

प्रत्येक व्यक्ति जीवन में सफ़ल होना चाहता है। लेकिन क्या सफलता बस बड़ा बैंक बैलेंस और विलासमय जीवन पाना है? कोई बहुत धन पा सकता है, लेकिन अगर शरीर अस्वस्थ हुआ तो आप के पास कुछ भी हो आप उपभोग नही कर सकते हैं। कई बार लोग धन प्राप्त करने के लिए अपना आधा स्वास्थ्य खो देते हैं और फिर उस स्वास्थ्य को पाने के लिए अपना आधा धन खर्च कर देते हैं। क्या यही वास्तविक सफ़लता है?

उस अवस्था के बारे में सोचिए जब आपकी समस्या, समस्या न रहे। आप उन्हें मुस्कराते हुए सामना करने की शक्ति पाते हैं और उन्हे अवसरों में परिवर्तित कर पाते हैं। क्या आप नही सोचते यह सफ़ल होने का चिन्ह है? आर्ट ऑफ लिविंग की तकनीके आपको इसी स्थिति तक पहुँचाती हैं।

जीवन में योग, प्राणायाम और ध्यान से जितनी जल्दी आत्मबोध करते है उतनी ही जल्दी जीवन के सभी पहलुओं में आप अपनी सफलता को त्वरित करते हैं।

अपने मनमोहक अस्तित्व को पुनः पहचाने
क्या आपने कभी ध्यान दिया है कि जब एक छोटा बच्चा कमरे में प्रवेश करता है, तो कमरे में उपस्थित सभी व्यक्ति उस बच्चे की उपस्थिति मात्र से ही आकर्षित हो जाते हैं। बच्चा कोई प्रयास नही करता है। सब स्वतः होता है। हम अपनी उपस्थिति से ज़्यादा संचार/संवाद करते है नाकि शब्दों से। लेकिन जैसे जैसे हम प्रौढ़ होते हैं अपने जीवन के इस उत्कृष्ठ पहलू पर ध्यान रखना भूल जाते हैं।

हम किस तरह अपने जीवन में बालवत ताज़गी, मित्रता और स्वाभाविकता पुनः प्राप्त करें? यह सुदर्शन क्रिया जैसे सहज परन्तु शक्तिशाली तकनीक द्वारा संभव है।

यह तकनीक हमारे अस्तित्व की विभिन्न परतों कों स्वच्छ कर देती है। साथ ही शरीर से लेकर आत्मा तक की सूक्ष्म परतों को तनाव और भूतका

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