भाग्य को बनाना बिगाड़ना अपने ही हाथों में: श्री मोरारी जी बापू

यदि हम अपने जीवन में परमानन्द की अनुभूति करना चाहते हैं तो इसके लिए हमें अपने कर्मों पर ध्यान देना होगा। भाग्य का रोना रोने से कोई लाभ नहीं होने वाला है जब तक हम उसके लिए प्रयास नहीं करते हैं।

श्री मोरारी जी बापू

भाग्य को बनाना और बिगाड़ना सब हमारे ही हाथों में है। इसी प्रकार जीवन की हर कठिनाई का हल हमारे पास ही है बस आवश्यकता है उसे जानने की।

जब इन्सान को किसी अन्य इन्सान की अच्छाइयों और उसकी खूबियों के बारे में जानकारी मिले और उन्हें सुनकर उसे खुशी होती है, तो वहां प्रेम अपनेआप ही प्रकट हो जाता है। प्रेम धीरे-धीरे बढ़े और निरंतर बढ़ता रहे, तो हमेशा प्रेम बना रहता है।

प्रेम भीड़ का विषय नहीं है, एकांत की अनुभूति है। प्रेम को कभी भीड़ में महसूस नहीं किया जा सकता। उसे तो सिर्फ एकांत में ही अपने भीतर उतारा जा सकता है।

हमारे हाथों का बहुत महत्व है जीवन में। ये पुरुषार्थ के प्रतीक हैं। भाग्य हाथों में ही लिखा होता है और हाथों से ही बदला भी जा सकता है। शास्त्रों ने हाथों का बहुत महत्व बताया है। अहंकार कहता है कि भुजा देखो लेकिन शास्त्र कहता है कि हाथों को देखो कि उन्होंने इस संसार में किया क्या है।

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