श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय में पांडुलिपि संरक्षण का सांस्कृतिक कार्यक्रम हुआ सम्पन्न…

REPORT – BALWANT RAWAT, TIHRI

पांडुलिपि मिशन संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार और पुराना दरबार ट्रस्ट के सौजन्य से पांडुलिपि संरक्षण पर पांच दिवसीय कार्यशाला श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय मुख्यालय बादशाहीथौल में संपन्न हुई।

कार्यशाला का समापन करते हुए ने दरबार ट्रस्ट के ट्रस्टी ठाकुर  भवानी प्रताप  सिंह पवार ने कहा की पांडुलिपि संरक्षण एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक कर्म है।

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वैज्ञानिक तरीके से पांडुलिपि संरक्षण की जानकारी उनके संग्रह कर्ताओं को होनी जरूरी है। कहा कि पांडुलिपि आज भी अनेक लोगों के घरों में पांडुलिपियां हैं। पहले लोग पारंपरिक तरीके से भी पांडुलिपियों का संरक्षण किया करते थे।

वहीं दस्तावेजी करण के साथ ही पांडुलिपियों का वैज्ञानिक तरीके से संरक्षण जरूरी है। मिशन पांडुलिपियों को पहचान देने का काम कर रहा है। और कहा कि अभिलेखागार के संरक्षण में जो पांडुलिपिया हैं उनमें 1849 के बाद के गजट और 14वीं शताब्दी से के बाद की पांडुलिपि भी उपलब्ध हैं। संस्कृति को व्यापक रूप में समझने की जरूरत पर उन्होंने बल दिया।

लेखक डॉक्टर योगंबर बर्त्वाल ने दरबार ट्रस्ट द्वारा पांडुलिपि संरक्षण की दिशा में किए गए कार्यों को अत्यंत महत्वपूर्ण बताया और कहा कि पांडुलिपियों से भाषा, संस्कृति, इतिहास, लोक और वास्तु की भी जानकारी मिलती है। गढ़वाल की महत्वपूर्ण धरोहर दरबार ट्रस्ट द्वारा संरक्षित की गई है। जिस पर देश और दुनिया भर के करीब 200 शोधार्थियों ने शोध तैयार किए।

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