शिवलिंग पर चढ़ाए जाने वाले बेल पत्र की क्या है गाथा, जानें इस पत्ते का पूरा महत्त्व ….

सावन का पूरा महीना भगवान शिव को समर्पित होता हैं। सावन का महीना पूरे जुलाई महाशिवरात्रि के रूप में मनाया जाता हैं। इस महीने में शिव भक्त भोले नाथ की अराधना कर पूजा करते हैं और साथ ही भगवान शिव का जलाभिषेक भी करते हैं। वैसे तो हर साल कुल 12 शिवरात्रि आती है जिनमें से सबसे मुख्य महाशिवारात्रि को माना जाता है। लेकिन इसके अलावा जो शिवरात्रि बहुत श्रद्धा पूर्वक मनाई जाती है वह सावन की शिवरात्रि कहलाती हैं।

लोगों का मानना है कि सावन के महीने में शिवलिंग पर बेल पत्र चढ़ाने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं। लेकिन यदि कोई शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाते हुए उनकी पूजा करता है तो उसे भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है। लोगों का ये भी मानना है कि अगर कोई भक्त शिव जी को बेल पत्र चढ़ाता है तो उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।


लोग बताते है कि जब भगवान शिव ने समुद्र मंथन के दौरान विष पान किया था तो उनके गले में जलन हो रही थी। बिल्वपत्र में विष निवारक गुण होते हैं इसलिए उन्हें बेलपत्र चढ़ाया गया जिससे की जहर का असर कम हो जाए। तब से लोग उन्हें बेलपत्र चढ़ा रहे हैं।

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बेलपत्र की तीन पत्तियां भगवान शिव के तीन नेत्रों का प्रतीक मानी जाती हैं।
जाने भगवान शिव पर बेल पत्र चढ़ाने से पहले ध्यान रखने योग्य बातें-
1- तीन पत्तियों वाला ही बेलपत्र ही भगवान शिवजी को चढ़ाएं।
2- भगवान शिव के लिए बेल पत्र तोड़ने का दिन और समय का भी खास महत्व होता है।
3- बेलपत्र को भगवान शिव को अर्पित करने से पहले अच्छे से धोकर ही इस्तेमाल करें।
4- जब भी भोलेशंकर को बेलपत्र चढ़ाएं तो जल जरूर अर्पण करें।
5- इसके अलावा बेलपत्र चढ़ाते समय ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का जाप भी करना चाहिए।
6- चंदन लगे बेलपत्र चढ़ाने से भगवान शिव अच्छी सेहत का वरदान देते हैं।
7- दूध के साथ बेल पत्र चढ़ाने से संतान की प्राप्त होती है।

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