विक्रम साराभाई (Vikram Sarabhai) की 100वीं जंयती आज, युवाओं को दिखाई नई राहें

विक्रम साराभाई (Vikram Sarabhai) एक ऐसा नाम जिसे सुनकर हर भारतीय वैज्ञानिक का सर फक्र से ऊँचा हो जाता है. भारतीय अनुसन्धान के क्षेत्र में उनके सराहनीय योगदान के लिए भारत हमेशा उनका ऋणी रहेगा. विक्रम साराभाई का नाम विशेषकर युवाओं के लिए नई राहें बनाने के लिए याद किया जाता है. वे अपने दौर के उन चुनिन्दा वैज्ञानिकों में से एक थे जो युवा विचारों को खुल के बाहर आने की छूट देते थे और युवाओं को आगे बढ़ने में मदद करते थे.

Vikram Sarabhai

आज विक्रम साराभाई (Vikram Sarabhai) को उनकी 100वीं जंयती पर Google ने  Doodle बनाकर श्रद्धांजलि दी है. उनका जन्म 12 अगस्त 1919 को हुआ था.

यही वजह थी कि उन्हें (Vikram Sarabhai) एक बेहतर लीडर भी माना जाता था. साराभाई ने 1947 में अहमदाबाद में भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला (पीआरएल) की स्थापना की थी. बता दें कि गूगल अलग-अलग क्षेत्र की उन बड़ी हस्तियों को Google Doodle बना कर श्रद्धांजलि अर्पित करता है जिन्होंने समाज के लिए बड़ा योगदान दिया है.

साराभाई (Vikram Sarabhai) के पिता उद्योगपति थे और भौतिक विज्ञान के अध्ययन-अनुसंधान के इस केंद्र के लिए उन्होंने अपने पिता से ही वित्तीय मदद मिली थी. उस समय साराभाई की उम्र महज 28 साल थी लेकिन कुछ ही सालों में उन्होंने पीआरएल को विश्वस्तरीय संस्थान बना दिया. साराभाई को उनके बेहतर काम के लिए वर्ष 1966 में पद्म विभूषण सम्मान से भी नवाजा गया था.

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बता दें कि साराभाई (Vikram Sarabhai) को भारतीय स्पेस प्रोग्राम का जनक भी माना जाता है. उन्हें 1962 में शांति स्वरूप भटनागर मेडल से भी सम्मानित किया गया था. 30 दिसंबर, 1971 को उनकी मृत्यु उसी स्थान के नजदीक हुई थी जहां उन्होंने भारत के पहले रॉकेट का परीक्षण किया था. दिसंबर के आखिरी हफ्ते में वे थुंबा में एक रूसी रॉकेट का परीक्षण देखने पहुंचे थे और यहीं कोवलम बीच के एक रिसॉर्ट में रात के समय सोते हुए उनकी मृत्यु हो गई.

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