
नई दिल्ली। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने रविवार को जानना चाहा कि क्या केंद्र सरकार देश के उच्च न्यायालयों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वकीलों की नियुक्तियां करने की कोशिश कर रही है? केजरीवाल ने ट्वीट कर पूछा, “केंद्र सरकार सर्वोच्च न्यायालय कॉलेजियम द्वारा सुझाए गए नामों को नियुक्त क्यों नहीं कर रही है? क्या केंद्र सरकार उच्च न्यायालयों के न्यायाधीश के पदों पर भाजपा के वकीलों की नियुक्ति करना चाहती है?”
सर्वोच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति टी. एस. ठाकुर ने सार्वजनिक रूप से कहा है कि केंद्र सरकार के पास पिछले आठ महीनों से उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए 78 आग्रह लंबित पड़े हैं।
केजरीवाल का यह बयान एक पत्रकार की टिप्पणी के बाद आया।
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पत्रकार ने कहा था, “क्या केंद्र सर्वोच्च न्यायालय के साथ ठीक वैसा ही बर्ताव कर रही है, जैसा वह दिल्ली सरकार के साथ करती है?”
क्या है कॉलेजियम प्रणाली
देश की अदालतों में जजों की नियुक्ति की प्रणाली को कॉलेजियम व्यवस्था कहा जाता है।
1990 में सुप्रीम कोर्ट के दो फैसलों के बाद यह व्यवस्था बनाई गई थी। कॉलेजियम व्यवस्था के अंतर्गत सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के नेतृत्व में बनी सीनियर जजों की समिति जजों के नाम तथा नियुक्ति का फैसला करती है।
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सुप्रीम कोर्ट तथा हाईकोर्ट में जजों की नियुक्ति तथा तबादलों का फैसला भी कॉलेजियम ही करता है।
हाईकोर्ट के कौन से जज पदोन्नत होकर सुप्रीम कोर्ट जाएंगे यह फैसला भी कॉलेजियम ही करता है।
कॉलेजियम व्यवस्था का उल्लेखन न तो मूल संविधान में है और न ही उसके किसी संशोधन में।