रिसर्च में हुआ खुलासा ! 70 साल से नहीं मिला किसी भारतीय को नोबेल पुरस्कार…

भारतीय प्रबंधन कॉन्कलेव में भारत के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का कहना हैं की अगर किसी भारतीय को 70 सालों से कोई नोबल पुरुस्कार नहीं मिला तो इसका मुख्य कारण प्रतिभा में कमी नही बल्कि अनुसंधान के लिए एक बेहतर माहौल में कमी आना हैं.

 

 

बतादें की इस बारे मने उनका कहना हैं की देश को आधारभूत अनुसंधान के लिए माहौल बनाना होगा, वर्तमान में छात्रों के लिए ऐसे माहौल की कमी रही है जहां छात्रों को आधारभूत अनुसंधान पर जोर दिया जाए। साथ ही कहा कि भारत में अनुसंधान और अनुसंधान के लिए प्रतिभाशाली छात्रों को प्रोत्साहित नहीं किया जाता है।

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वहीं पूर्व राष्ट्रपति ने कहा कि प्राचीन काल से ही हमारा देश उच्च शिक्षा के लिए प्रसिद्ध था। करीब 1800 सालों तक शिक्षा में भारत की श्रेष्ठता रही। 600 ईसा पूर्व से लेकर 12वीं सदी में जब तक तक्षशिला, नालंदा, विक्रशिला जैसे संस्थान तबाह नहीं हुऐ थे तब तक भारत विश्व में शिक्षा का नेतृत्व कर रहा था।

जहां प्रणब ने कहा कि अच्छे अध्यापक सिर्फ विषयों को पढ़ाते ही नहीं, बल्कि अनुसंधान के लिए भी बढ़ावा देते हैं। उन्होंने भारतीय गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह का उदाहरण देते हुए कहा कि उन्होंने गरीबी के बावजूद बर्कले विश्वविद्यालय से पीएचडी की डिग्री हासिल की, क्योंकि उनके अध्यापकों ने उन्हें हमेशा प्रोत्साहित किया। जहां पूर्व राष्ट्रपति के अनुसार, आईआईटी जैसे देश के बेहतरीन संस्थानों को अपने छात्रों का बड़ी-बड़ी कंपनियों में प्लेसमेंट कराने के बजाय अनुसंधान की तरफ ध्यान आकर्षित करवाना चाहिए। छात्रों को अनुसंधान के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।

दरअसल देश के 13वें राष्ट्रपति रहे प्रणब मुखर्जी को आठ अगस्त को भारत रत्न से नवाजा जाएगा। यह सम्मान प्रणब मुखर्जी के साथ सामाजिक कार्यकर्ता नानाजी देशमुख और असमी गायक भूपेन हजारिका को भी मरणोपरांत दिया जाएगा। प्रणब को भारत रत्न देने की घोषणा 25 जनवरी को की गई थी।

 

 

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