राफेल को लेकर अन्ना हजारे ने उड़ाई मोदी सरकार की नींदें, कहा- मै बहुत जल्द करूंगा इसका खुलासा

नई दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी इन दिनों राफेल डील को लेकर मोदी सरकार पर सवालिया निशान लगा रहे हैं। हालांकि मोदी सरकार ने राहुल के आरोपों को पूरी तरह से खरिज करते हुए उनका मजाक भी बनाया।

अन्ना हजारे

इसके साथ ही इस मसले पर कोर्ट द्वारा भी दाखिल की गई सारी अर्जियां खारिज की चुकी हैं। ऐसे में राफेल मामले पर राहुल गांधी को मशहूर सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे का साथ मिलता दिख रहा है।

अन्ना पहले ही भ्रष्टाचार रोधी कानून को लागू करने और किसानों से जुड़ी मांगों को लेकर 30 जनवरी से अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल की घोषणा कर चुके हैं। वहीं अब उन्होंने राफेल मसले पर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बड़ा बयान देते हुए राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है।

हजारे ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि अगर लोकपाल होता तो राफेल जैसा घोटाला नहीं हुआ होता। मेरा पास राफेल से जुड़े कई कागजात हैं और मैं दो दिन इनका अध्ययन करने के बाद दूसरी प्रेस कॉन्फ्रेंस करूंगा। उन्होंने कहा कि मुझे एक बात समझ नहीं आती कि समझौते से एक महीने पहले बनी एक कंपनी को इसमें सहयोगी कैसे बनाया गया।

अन्ना ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद लोकपाल एवं लोकायुक्त अधिनियम, 2013 को लागू नहीं करने पर केंद्र सरकार की निंदा करते हुए कहा कि उन्हें लगता है कि देश पर तानाशाही की तरफ जाने का खतरा मंडरा रहा है।

उन्होंने कहा कि अतीत में सरकार लिखित में कह चुकी है कि वह लोकपाल कानून पारित करेगी और किसानों को पेंशन तथा डेढ़ गुना अधिक न्यूनतम समर्थन मूल्य उपलब्ध कराएगी लेकिन कुछ नहीं हुआ। अब मैं और झूठे आश्वासनों पर भरोसा नहीं करूंगा और जीवन रहने तक भूख हड़ताल जारी रखूंगा।

बीते आठ साल में लोकपाल की मांग को लेकर अन्ना हजारे की यह तीसरी भूख हड़ताल होगी। वह सिविल सोसायटी सदस्यों तथा समूहों का नेतृत्व करते हुए अप्रैल 2011 में पहली बार दिल्ली के रामलीला मैदान में अनिश्चतकालीन भूख हड़ताल पर बैठे थे। अन्ना के इस आंदोलन ने पूरे देश में हलचल मचा दी थी।

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कई पढ़े-लिखे नौजवानों समेत लगभग पूरे देश में इस दौरान अन्ना आंदोलन की लहर थी। इसके अलावा कई लोगों ने अपनी नौकरी छोड़कर अन्ना के आंदोलन में इस दौरान सहभागिता दर्ज की थी। ऐसे में फिर से अन्ना के द्वारा आंदोलन पर जाने से पूरे देश की नजरें अन्ना की तरफ लगी हुई हैं। वहीं राफेल को लेकर उनके द्वारा दिए गए बयान से मोदी सरकार की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।

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